
‘भारतीय ज्ञान परंपरा’ (Indian Knowledge System) पर विश्वज्ञानपीठ, प्रयागराज के सहयोग से ‘भारतीय शब्द यात्रा’ पर नई अंतरराष्ट्रीय व्याख्यान शृंखला तहत प्रत्येक माह के अंतिम शनिवार ऑनलाइन गूगल मीट पर आयोजित प्रतिष्ठित भाषाविद् आचार्य त्रिभुवननाथ शुक्ल जी का दूसरा व्याख्यान दिनांक 30 अगस्त 2025 को सायं 6.00 बजे आयोजित होगा । आचार्य त्रिभुवननाथ शुक्ल इस विश्वज्ञानपीठ, प्रयागराज के अध्यक्ष हैं । साहित्य अकादमी-संस्कृति परिषद, मध्य प्रदेश के पूर्व निदेशक तथा रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर के हिंदी एवं भाषाविज्ञान विभाग के पूर्व आचार्य एवं अध्यक्ष भी हैं । पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. सी. जय शंकर बाबु द्वारा भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के ‘स्वयम्’ (‘SWAYAM’) पोर्टल पर आयोजित भाषा-प्रौद्योगिकी निःशुल्क ऑनलाइन पाठ्यक्रम के अंतर्गत यह व्याख्यानमाला आयोजित हो रही है ।
भाषा-प्रौद्योगिकी भारतीय भाषाओं की सांस्कृतिक, सामाजिक और तकनीकी पुनर्स्थापना का आत्मीय अनुष्ठान है। भारत की विविधता को शक्ति में बदलने, कृत्रिम बुद्धिमत्ता सहित भाषा प्रौद्योगिकी के बहुआयामी समावेश भारत को ‘डिजिटल लोकतंत्र’ में विकसित करने तथा चेतना जागृति की पहल है। असंख्य बुद्धिजीवियों के आत्मीय सहयोग से जारी ज्ञान-यज्ञ की इस शृंखला में ‘भारतीय शब्द यात्रा’ विश्वज्ञानपीठ, प्रयागराज के सहयोग से आयोजित की जा रही है। ‘शब्द’ केवल भाषा का घटक नहीं, बल्कि संपूर्ण मानव चेतना का प्रतिनिधि होता है। भारतीय संस्कृति में शब्द को ब्रह्म कहा गया है— “शब्दो ब्रह्म” । बहुभाषिक भारत और बहुसांस्कृतिक सभ्यता में शब्दों की यात्रा केवल ध्वन्यात्मक विकास नहीं है, बल्कि यह दर्शन, सामाजिक संरचना, धार्मिक विश्वास और सांस्कृतिक चेतना की सतत यात्रा है। इस चेतना यात्रा में इतिहास, भूगोल, धर्म, संस्कृति, समाज, विज्ञान और तकनीक– आदि सभी शामिल हैं। यह यात्रा केवल भाषायी नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक स्मृति और अस्तित्व की यात्रा है। शब्द स्थिर नहीं होते; वे जीवंत होते हैं, बदलते रहते हैं, नए रूप धरण करते हैं, और फिर भी अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं। भारतीय भाषाओं के लिए भाषा-प्रौद्योगिकी के विकास में पाठ संश्लेषण, मशीन अनुवाद, वाक् अभिज्ञान आदि में कॉर्पस निर्माण व विकास की बड़ी मांग है। भारतीय शब्द-संपदा के डिजिटल अस्तित्व व विकास की दृष्टि से ‘भारतीय शब्द यात्रा’ पर व्याख्यानमाला एक विशिष्ट पहल होगी । इस अनुष्ठान का लाभ उठाने के लिए देश-विदेश से अध्येता, विद्वान, भाषा चिंतक, विद्यार्थी, शिक्षक आदि आमंत्रित हैं। इस अंतरराष्ट्रीय व्याख्यान शृंखला संयोजक पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष एवं पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. सी. जय शंकर बाबु करेंगे।
ज्ञातव्य है कि डॉ. त्रिभुवननाथ शुक्ल भारत के सुप्रसिद्ध भाषाविद् हैं, जिन्होंने भाषाविज्ञान के क्षेत्र में 50 से अधिक महत्त्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं हैं और भारतीय भाषाविज्ञान की परंपरा को समकालीन विमर्शों से जोड़ा है। इस व्याख्यान कार्यक्रम का संचालन सह-संयोजक श्री उमेश कुमार प्रजापति, अनुवाद अधिकारी एवं प्रचार मंत्री, विश्वज्ञानपीठ, प्रयागराज द्वारा किया जाएगा। गूगल मीट पर आयोजित व्याख्यान में शामिल होने के लिए इच्छुक प्रतिभागी https://meet.google.com/art-tauu-pmo लिंक के माध्यम से जुड़ सकते हैं ।