कविता

कविता

गुड़िया

गुड़िया मेरी गुड़िया हंसना, कभी ना तुम रोना । पापा _मम्मी की हो प्यारी, गुरुजन की हो राज दुलारी। सबकी कहना मानना , अच्छी बातें सीखना। मेरी गुड़िया हंसना, कभी ना तुम रोना। गुड़िया पढ़ी और पढ़ कर , वह की समाज का कल्याण। समाज आगे बढ़ा , गुड़िया बनी महान। मेरी गुड़िया हंसना , […]

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कविता साहित्य

विश्वनाथ शुक्ल ‘चंचल’

  चंचल जी पत्रकारिता के सशक्त हस्ताक्षर इनके व्यवहार थे उत्तम । इन्होंने पत्रकारिता का बढ़ाया मान इसे बनाया सर्वोत्तम । इनके पिता थे श्रीनाथ ये थे विश्वनाथ । चंचल जी ने साहित्य को कभी न होने दिया अनाथ। इनकी लेखनी थी अविरल पाठकों को दिया ज्ञान । ये पत्रकारिता में बनाई विशिष्ट पहचान । […]

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कविता

गांधी जयंती के अवसर पर

  बाल-कविता महात्मा का स्मरण भारत माता ने महानतम पुत्र अनेक जने हैं। ‘बापू’ पद के अधिकारी बस मोहनदास बने हैं।। हम सब उनको आज महात्मा गांधी कहते हैं। भारत के जन गण के मन में सचमुच रहते हैं।। वे अपने जीवन में सबको प्रेम सिखाते थे। सत्य, अहिंसा में निष्ठा का मार्ग दिखाते थे।। […]

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कविता

गुरु हमारे जीवन दाता

  माँ देती जन्म हमें, पिता देता साया हमें लेकिन गुरु देता सबसे अनमोल ज्ञान सिखाता मानवता का पाठ हमें। मानो गुरु एक है शिल्पकार, देते कच्ची मिट्टी को आकार- प्रकार, हैं भाग्य विधाता हमारा वे, ज्ञान का अविरल स्रोत जहाँ। सत्य – न्याय के पथ पर चलना जीवन के हर संघर्षों से, सिखाते हैं […]

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कविता

गुरु

  शिक्षा ही अनमोल धरोहर है हमारी। बिन गुरु शिक्षा असंभव है हमारी॥ गुरु ही सखा, गुरू ही माता-पिता का रूप है। गुरु ही शिष्य की आत्मीयता का स्वरूप हैं।। अंधेरी राहो में भी जो प्रकाश की राह दिखाता है। गुरु ही सफलता की रुकावटों से लड़ना सिखाता है।। बिन गुरु अर्जुन जैसा धर्नुधारी बनना […]

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कविता साहित्य

ग़ज़ल/आदित्य आजमी

ग़ज़ल सिसक रही सदी लिखो कवि, सूख रही है नदी लिखो कवि! नेकी का तो पतन हो रहा है, बढ़ रही है बदी लिखो कवि! किसी दिन घर को गिरा देगी, ये बुनियादी नमी लिखो कवि! मंगल पर जाने की तैयारी है, कम पड़ती जमीं लिखो कवि! आधुनिकता के इस काल मे, गुम हो गई […]

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कविता

सोशल मीडिया

  जब से आया है मोबाइल, बदला है ये जमाना देश विदेश की बातों को, घर बैठे हमने जाना भूले हैं सभ्यता को, भूले हैं संस्कृति को ॥ दुनिया भर की बातें सीखीं, भूल गये अपनापन सारा समय फोन को देते, अपनों से बिछड़े हम बात न घर में करते, चैट लोगों से करते॥ ज्ञान […]

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कविता

सिसक रही सदी लिखो कवि/आदित्य आजमी

    ग़ज़ल सिसक रही सदी लिखो कवि, सूख रही है नदी लिखो कवि! नेकी का तो पतन हो रहा है, बढ़ रही है बदी लिखो कवि! किसी दिन घर को गिरा देगी, ये बुनियादी नमी लिखो कवि! मंगल पर जाने की तैयारी है, कम पड़ती जमीं लिखो कवि! आधुनिकता के इस काल मे, गुम […]

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कविता साहित्य

मन समर्पित, तन समर्पित

मन समर्पित, तन समर्पित, और यह जीवन समर्पित। चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ। माँ तुम्‍हारा ऋण बहुत है, मैं अकिंचन, किंतु इतना कर रहा, फिर भी निवेदन- थाल में लाऊँ सजाकर भाल मैं जब भी, कर दया स्‍वीकार लेना यह समर्पण। गान अर्पित, प्राण अर्पित, रक्‍त का कण-कण समर्पित। चाहता […]

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कविता साहित्य

अंकुर सिंह

हिंदी बने राष्ट्र भाषा हमारा हो निज भाषा पर अधिकार, प्रयोग हिंदी का, करें इसका विस्तार। निज भाषा निज उन्नति का कारक, निज भाषा से मिटे सभी का अंधकार।। हिंदी है हिंदुस्तान की रानी, हो रही अब सभी से बेगानी। अन्य भाषा संग, हिंदी अपनाओ, ताकि हिंदी संग ना हो बेमानी।। माथे की शोभा बढ़ाती बिंदी, निज भाषा जान हैं  हिन्दी। आओ मिल इसका करें विस्तार, […]

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