पुस्तक समीक्षा

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तेलंगाना प्रदेश एवं हिंदी की स्थिति

इस पुस्तक के उपोदघात में लेखिका अपने अर्धशतकीय हिंदी यात्रा के अनुभव का परिचय देते हुए कहती हैं- ‘दक्षिण में द्रविड़ संस्कृति एवं तेलंगाना की मूल भाषा तेलुगु के साथ हैदराबाद शहर में रहने वाले लोग उर्दू एवं दक्षिणी हिंदी की जानकारी स्वयंमेव प्राप्त कर लेते हैं।’ (पृ. ‘उपोदघात’) ‘तेलंगाना का निर्माण एवं इसकी संस्कृति’ […]

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मानवीय संवेदनाओं का चित्रण कहानी-संग्रह ’वो मिले फेसबुक पर’

सुरेन्द्र अग्निहोत्री जब जुपिन्द्रजीत सिंह का कहानी-संग्रह ’वो मिले फेसबुक पर’ मेरे हाथों में आया तो बस पढ़ता ही चला गया। उनकी कहानियाँ मन-मस्तिश्क को झिंझोड़ती ही नहीं, बल्कि मस्तिश्क में अपने लिए एक कोना स्वयं ही तलाष कर जगह बना लेती हैं। साथ ही पाठक को सोचने पर विवष कर देती हैं और एक […]

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‘नौकरस्याही के रंग’ पुस्तक जो जोड़ती है अपने से

डॉ. कन्हैया त्रिपाठी पुस्तकें मनुष्य की कई पहेलियों को शांत कर देती हैं और पाठक पर अपनी एक नई छाप छोड़ देती हैं, बस पाठ करने वाला व्यक्ति उसकी संवेदना को मनोयोग से समझ भर पाए। लेखक की संवेदना को पकड़ पाए। पुस्तक जिस भावभूमि पर रची जाती है, उसे पाठक तभी उसी रूप में […]

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साहित्यकार ऋषभ के व्यक्तित्व और कृतित्व का समग्र आकलन

    डॉ. सुषमा देवी नजीबाबाद (उत्तर प्रदेश) से प्रकाशित त्रैमासिक शोध पत्रिका ‘शोधादर्श’ द्वारा  हिंदी भाषा-साहित्य के चर्चित हस्ताक्षर प्रोफेसर ऋषभदेव शर्मा के रचना संसार पर आधारित विशेषांक ‘प्रेम बना रहे’ को पाँच खंडों में विभाजित करते हुए प्रकाशित किया गया है। प्रथम खंड ‘आखिन की देखी’ में प्रो.  ऋषभदेव शर्मा के सान्निध्य में […]

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‘शोधादर्श’ का विशेषांक : प्रेम बना रहे

    ✍️समीक्षक : डॉ. चंदन कुमारी गन्ने के गाँव खतौली से मोतियों के शहर हैदराबाद तक की संघर्ष और कामयाबी भरी अपनी यात्रा के विविध पड़ावों में जन-जन से संपर्क सूत्र साधते; सहज गति से अविराम मनःस्थिति के साथ निरंतर साहित्य सृजन में लीन और संगोष्ठियों में सदैव तत्पर रहनेवाले प्रो. ऋषभदेव शर्मा (1957) […]

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तुलसी, राम और रामायण का नाता

*पुस्तक समीक्षा : डॉ. चंदन कुमारी* साहित्य, समाज और संस्कृति में रामकथा अनेकानेक रूप में विद्यमान है। जैसे हंस में नीर-क्षीर विवेक होता है वैसे ही हर प्राणी के मन में नीर-क्षीर की परिकल्पना तो होती है, पर उनमें यह परिकल्पना मत वैभिन्न्य के साथ होती है। जिसे जो भाता है उसे ही वह चुनता […]

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पुस्तक समीक्षा साहित्य

एक बेगम की जिन्दगी का सच

जिसमें इतिहास की गरिमा और साहित्य की रवानी है   अनिल अविश्रांत    कहा जाता है कि कुछ सच कल्पनाओं से भी अधिक अविश्वसनीय होते हैं। ‘बेगम समरू का सच’ कुछ ऐसा ही सच है। एक नर्तकी फरजाना से बेगम समरू बनने तक की यह यात्रा न केवल एक बेहद साधारण लड़की की कहानी है बल्कि एक ऐसे युग से गुजरना है जिसे इतिहासकारों ने […]

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पुस्तक समीक्षा साहित्य

कड़वे यथार्थ की चित्रकारी…

भारतीय साहित्य में व्यंग्य लेखन की परंपरा बहुत समृद्ध रही है। ऐसा माना जाता है कि यह कबीरदास, बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमधन’, प्रतापनारायण मिश्र से आरंभ हुई, कालान्तर में शरद जोशी, श्रीलाल शुक्ल, हरिशंकर परसाई, रवीन्द्रनाथ त्यागी, लतीफ घोंघी, बेढब बनारसी के धारदार व्यंग्य-लेखन से संपन्न होती हुई यह परंपरा वर्तमान समय में ज्ञान चतुर्वेदी, सूर्यकुमार […]

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पुस्तक समीक्षा साहित्य

जिंदगी के अनुभवों की परतें-स्टेपल्ड पर्चियाँ

भारतीय ज्ञानपीठ  प्रकाशन से प्रकाशित सुप्रसिद्ध लेखिका प्रगति गुप्ता का कहानी संग्रह ‘स्टेपल्ड पर्चियाँ’ जैसे बेशुमार अनुभवों का खजाना है। प्रत्येक व्यक्ति का जीवन अनेकानेक अनुभवों से गुजरता है। हर अनुभव एक कहानी बनकर उसकी स्मृतियों में स्टेपल होती रहती है और ऐसी कई कहानियाँ परत दर परत स्टेपल होकर कई गड्डियाँ बन जातीं हैं। […]

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