व्यक्तित्व

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पत्रकारिता के आधार स्तंभ : विश्वनाथ शुक्ल ‘चंचल‘

  भारतीय साहित्य एवं पत्रकारिता को आभामंडित कर ज्ञान की ज्योति जलाने में कामयाब साहित्यकार थे -विश्वनाथ शुक्ल चंचल। इनसे पाठकगण प्रभावित होकर ज्ञानार्जन और मनोरंजन प्राप्त करते थे ।चंचल जी का जन्म 20 जून ,1936 में हाजीगंज ,पटना सिटी में हुआ था। इनके पिता का नाम श्रीनाथ शुक्ल था। विश्वनाथ शुक्ल ‘चंचल’ की शिक्षा […]

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जॉन फॉसे : अनकही को कह दिया जिसने!

  वयोवृद्ध लेखक सलमान रुश्दी के चाहने वालों को भले ही हताशा हुई हो, लेकिन नॉर्वेजियन लेखक जॉन फॉसे (1959) को साहित्य में 2023 का नोबेल पुरस्कार दिया जाना स्वागत योग्य और प्रशंसनीय है। बताया जा रहा है कि फॉसे गद्य और नाटक दोनों में माहिर हैं, और उनके काम की विशेषता इसकी काव्यात्मक भाषा, […]

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पं. दीनदयाल उपाध्याय: व्यक्तित्व एवं कृतित्व

महान चिन्तक, कर्मयोगी, मनीषी एवं राष्ट्रवादी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय का भारत के राजनीतिक क्षितिज पर उदय एक महत्वपूर्ण घटना थी। वह देश के गौरवशील अतीत से भविष्य को जोड़ने वाले शिल्पी थे। उन्होंने प्राचीन भारतीय जीवन-दर्शन के आधार पर सामयिक व्यवस्थाओं के संबन्ध में मौलिक चिन्तन करके उन्हें दार्शनिक दृष्टिकोण से परिपूर्ण व्यावहारिक व्याख्यायें दीं। […]

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विश्व शांति के लिए गांधी ही विकल्प… पर गांधी विरासत बचाना भी जरूरी

  प्रो. कन्हैया त्रिपाठी गांधी जी के संदर्भ में अलबर्ट आइंस्टीन का वह कथन अब प्रायः लोग स्मरण करते हैं जो उन्होंने 20वीं शताब्दी के मध्य में कही थी कि- दुनिया एक दिन आश्चर्य करेगी कि गांधी जैसा कोई हाड़ मांस का पुतला इस धरती पर कभी चला होगा। जीवन कृपा पर नहीं जी सकते […]

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मैं गांधी बोल रहा हूँ….

  डाॅ. जी. नीरजा अहिंसा प्रचंड शस्त्र है। इसमें परम पुरुषार्थ है। यह भीरु से दूर-दूर भागती है, वीर पुरुष की शोभा है, उसका सर्वस्व है! यह शुष्क, नीरस, जड़ पदार्थ नहीं है, यह चेतनमय है। यह आत्मा का विशेष गुण है। आप मानो या न मानो, मैंने इसका वर्णन परम धर्म के रूप में […]

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मानवता के प्रामाणिक संत हैं महात्मा गांधी

  अरविंद जयतिलक ऐसे समय में जब संपूर्ण विश्व में हिंसा का बोलबाला है, राष्ट्र आपस में उलझ रहे हैं, मानवता खतरे में है, गरीबी, भूखमरी और कुपोषण लोगों का जीवन लील रही है तो गांधी के विचार बरबस ही प्रासंगिक हो जाते हैं। मौजूदा दौर में विश्व समुदाय भी महसूस करने लगा है कि […]

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हल्का होने का अहसास : मिलान कुंदेरा

श्रद्धांजलि लेख   प्रो. गोपाल शर्मा   “और जल्दी ही युवती सिसकी लेने के बजाय ज़ोर–ज़ोर से रोने लगी और वह यह करुणाजनक पुनरुक्ति दोहराती चली गई, ”मैं मैं हूँ, मैं मैं हूँ, मैं मैं हूँ ….” आज जब अचानक मिलान कुंदेरा के निधन का समाचार सुना तो उनकी एक कहानी के अनुवाद की ये अंतिम पंक्तियाँ याद […]

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महान थे स्वामी विवेकानंद

निर्वाण दिवस पर शत्-शत् नमन कुमार कृष्णन स्वामी विवेकानंद के विचार और साधना में योग विद्या का बहुआयामी समन्वय है। ज्ञान, कर्म और भक्ति की त्रिवेणी उनके व्यक्तित्व से अविरल प्रवाहित होती है और राजयोग की पराकाष्ठा उनके जीवन को सूर्य की भांति दीप्तिमान बनाती है। विवेकानंद की मान्यता में ‘अहं ब्रह्मास्मि’ की मौलिक धारणा […]

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बापू के आह्वान पर आजादी की लड़ाई में कूदे शुभकरण चूड़ीवाला

  कुमार कृष्णन बीते सदी के दूसरे दशक की शुरूआत में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी स्वतंत्रता आंदोलन के केंद्र में आ गये थे और इससे उन्होंने आम लोगों से जोड़ा। यह वह दौर था, जब 21 मार्च 1919 को रोलेट एक्ट लागू किया गया, इसमें न अपील न दलील और न वकील की व्यवस्था थी। महात्मा […]

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ग़ज़ल सम्राट: दुष्यंत कुमार

अमन कुमार /आलोक कुमार  दुष्यंत कुमार का जन्म उत्तर प्रदेश में जनपद बिजनौर के ग्राम राजपुर नवादा के जमींदार परिवार में 1 सितंबर 1933 को हुआ था। आपकी माता जी का नाम श्रीमती राम किशोरी देवी एवं पिता का नाम चैधरी भगवत सहाय था। कवि की प्रारंभिक शिक्षा गाँव की ही पाठशाला में हुई। 1948 […]

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