उत्कृष्ट तथा गहन सर्जनात्मकता के धनी थे डॉ जैमिनी

साहित्यिक मुरादाबाद की ओर से साहित्यकार स्मृतिशेष डॉ विश्व अवतार जैमिनी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर तीन दिवसीय ऑनलाइन परिचर्चा

मुरादाबाद। साहित्यकार स्मृतिशेष डॉ विश्व अवतार जैमिनी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर साहित्यिक मुरादाबाद की ओर से तीन दिवसीय ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया । साहित्यकारों ने कहा कि डॉ जैमिनी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक सरोकारों को उजागर किया।
मुरादाबाद के साहित्यिक आलोक स्तम्भ की पच्चीसवीं कड़ी के तहत आयोजित कार्यक्रम के संयोजक वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ मनोज रस्तोगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक नगर सम्भल में रस्तोगी वैश्य परिवार में 4 जनवरी 1940 को जन्में डॉ विश्वअवतार जैमिनी ने काव्य और गद्य दोनों में ही समान रूप से लिखा है। उनकी कहानियों का मुख्य विषय सामाजिक एवं ऐतिहासिक है। कहानी, कविता तथा निबन्धों के अतिरिक्त आपने संस्कृत दर्पण, हिन्दी भाषा प्रदीप तथा साहित्यानुशीलन आदि ग्रन्थों की रचना भी की। वर्ष 2020 में उनका आत्मकथा संस्मरणात्मक ग्रन्थ बिंदु बिंदु सिंधु प्रकाशित हुआ तथा वर्ष 2022 में उनकी काव्य कृति मैं पद्यप प्रकाशित हुई । उनका देहावसान 9 अप्रैल 2022 को हुआ ।

 


प्रख्यात साहित्यकार यश भारती माहेश्वर तिवारी ने कहा कि डॉ जैमिनी का सृजन बहुआयामी है। उसमें कविता, कहानी, आलेखों के कई पड़ाव हैं उनसे गुजरते हुए उनकी सृजनात्मक प्रतिभा को देखा परखा जा सकता है। उनका ग्रंथ बिंदु बिंदु सिंधु उनकी जीवन-यात्रा का छोटा सा दस्तावेज भी है जिससे होकर उन्हें पढ़ा और समझा जा सकता है। यह एक तरह से आत्मकथा भी है और सम्भवतः मुरादाबाद के साहित्य-जगत में अभी तक इकलौती आत्मकथा कही जा सकती है।
प्रख्यात शायर मंसूर उस्मानी ने कहा कि उत्कृष्ट तथा गहन सर्जनात्मकता के धनी डॉ जैमिनी के काव्य में भाषा की सहजता, अभिव्यक्ति की नैसर्गिकता, अलंकारों की झनझनाहट और छन्द-विधान की उन्मुक्तता ने उनके काव्य को रस प्लावित एवं सर्वग्राही बना दिया है।
एमजीएम कॉलेज संभल के पूर्व प्राचार्य डॉ डी एन शर्मा ने कहा कि डॉ जैमिनी की रचनाओं में प्रकृत रूप से रंजनकारी एवं कल्याणकारी दोनों प्रकार की अभिव्यंजनाओं का सम्यक् निर्वाह हुआ है।
डॉ कृष्ण कुमार नाज ने कहा कि उनका काव्य दिनकर की भाव-प्रवणता से ओत-प्रोत अत्यंत उत्प्रेरक, सशक्त एवं प्रभावशाली है। एक ओर शोषित, वंचित एवं अभावग्रस्त वर्ग के उत्पीड़न, घुटन और उमस का सम्यक् चित्रण तो दूसरी ओर राष्ट्र चिंतन, स्वदेश प्रेम, संस्कृति के गौरव एवं भारत के गरिमामय इतिहास का बखान।
प्रो सुधीर कुमार अरोरा ने उनकी कविता शब्दों से महल नहीं, कुटिया छाऊँगा के संदर्भ में कहा यह उनकी कल्पना की आदर्श दुनिया को प्रतिबिंबित करती है। प्रो मुकेश गुप्ता ने कहा कि डॉ जैमिनी जी की जीवन संघर्ष की गाथाएँ एवं रचनाएँ अत्यंत प्रेरणादायी है तथा समाज और सुधी पाठकों का मार्गदर्शन करने वाली हैं। प्रो. प्रियंका गुप्ता ने कहा कि उनकी कविताएं विचारों और कोमल भावों के साथ-साथ राष्ट्र एवं धर्म के प्रति उनकी अगाध निष्ठा का एक दर्पण है।
अफजलगढ़ (बिजनौर) के साहित्यकार डॉ अशोक रस्तोगी ने कहा उनके काव्य में देशभक्ति का प्रवाह मिलता है तो संघर्ष की धारा भी परिलक्षित होती है। आवेशपूर्ण अभिव्यक्ति है तो शांति भी प्रतीत होती है। प्रेम का मार्ग दिखाई देता है तो हिंदी भाषा का भी गुणगान किया गया है।
रामपुर के साहित्यकार रवि प्रकाश कहते हैं कि डॉ. विश्व अवतार जैमिनी की बाल कविताएं बच्चों को कुछ सीखने और प्रकृति-परिवेश के साथ जुड़ने का अवसर प्रदान करती हैं। त्यागी अशोका कृष्णम् ने कहा कि वह विनोदी होने के साथ साथ बहुत गंभीर व्यक्तित्व के धनी थे।
डॉ धर्मेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि उनकी कविताओं में कल्पनाशीलता, आध्यात्मिकता और देशभक्ति के दर्शन होते हैं।
रामपुर के साहित्यकार शिव कुमार चंदन ने कहा सामाजिक विसंगतियों और जन सरोकारों पर रची रचनाएं उनकी जीवन यात्रा के दस्तावेज हैं।
कवयित्री हेमा तिवारी भट्ट ने दोहे प्रस्तुत करते हुए कहा – साहित्यिक संसार में, गढे़ नये सोपान / राजनीति, शिक्षा कहो, कहाँ नहीं अवदान।।
संभल के साहित्यकार अतुल कुमार शर्मा ने कहा डॉ जैमिनी जी ने अपने लेखन की शुद्धता, वाणी की मृदुलता, चरित्र की पवित्रता को पोषित करते हुए साहित्य प्रेमियों को मिशन लेकर आगे बढ़ने का अप्रत्यक्ष संदेश दिया है ।
इस अवसर पर राजीव सक्सेना,डॉ अजीत कांत दीक्षित, राजीव प्रखर, वैशाली रस्तोगी (जकार्ता इंडोनेशिया), दुष्यंत बाबा, मोहम्मद जावेद, राशिद हुसैन, रश्मि प्रभाकर, डॉ मोहम्मद अय्यूब ने उनके संस्मरण प्रस्तुत किए।
पुनीत रस्तोगी ने उनकी कविता, सुनील रस्तोगी ने चित्र प्रस्तुत किए ।मुजाहिद चौधरी आशा लता जैमिनी, विवेक रस्तोगी, शिखा रस्तोगी और पारुल रुस्तगी ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया । आभार उनके सुपुत्र महाराजा हरिश्चंद्र महाविद्यालय के प्रबंधक डॉ काव्य सौरभ जैमिनी ने व्यक्त किया ।

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