1-
अबला नहीं सबला हूं,
खुशियां मुझसे हैं,
तुम्हारे लिए।
2-
मां बहन बेटी हूं,
सर्व शक्तिमान हूं,
तुम्हारे लिए।
3-
मेरे दम पर ही,
मकान घर बना,
तुम्हारे लिए।
4-
मैंने अंतरिक्ष भी देखा,
और पाताल नापा,
तुम्हारे लिए।
5-
अखंडित रहे परिवार मेरा,
बहुत कुछ त्यागा,
तुम्हारे लिए।
6-
हर क्षेत्र में आगे,
कम नहीं कहीं,
तुम्हारे लिए।
7-
संकीर्णता को भुला दिया,
और आगे बढ़ी,
तुम्हारे लिए।
8-
अनेक आयोजन भी होंगे,
फिर वही ढर्रा,
तुम्हारे लिए।
संजीव “दीपक”
धामपुर (बिजनौर)
9045006727