
पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय का हिंदी विभाग 10 सितंबर 2025 को ‘हिंदी को विश्व भाषा बनने के लिए उसकी आवश्यकताओं का निर्धारण – तकनीकी परिवर्तन और भाषा नीति’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित कर रहा है। आचार्य हाइंस वर्नर वेसलर, भाषाविज्ञान और वाङ्मयशास्त्र विभाग, उप्साला विश्वविद्यालय, स्वीडेन सभी आभासी श्रोताओं का ज्ञानवर्धन करेंगे। आचार्य हाइंस ने इंडोलॉजी, तुलनात्मक धर्म और संगीतशास्त्र का गहन अध्ययन किया है और संस्कृत साहित्य के महाकाव्यों के साथ-साथ आधुनिक दक्षिण एशिया, उसकी भाषाओं एवं साहित्य पर भी शोध किया है। हिंदी के प्रति इनकी निष्ठा को देखते हुए इनको विश्व हिंदी सम्मान (2015), जॉर्ज ग्रियर्सन पुरस्कार 2018 और कैमिल बुल्के पुरस्कार 2022 जैसे अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है।
पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. सी. जय शंकर बाबु द्वारा भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के ‘स्वयम्’ (‘SWAYAM’) पोर्टल पर आयोजित ‘भाषा-प्रौद्योगिकी का परिचय’ निःशुल्क ऑनलाइन पाठ्यक्रम के अंतर्गत यह 40वीं अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला 10 सितंबर की शाम 6.00 बजे (भारतीय समयानुसार) आयोजित की जाएगी। इस कार्यशाला की अध्यक्षता पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. सी. जय शंकर बाबु करेंगे ।
भाषा-प्रौद्योगिकी निःशुल्क ऑनलाइन पाठ्यक्रम भारतीय भाषाओं की सांस्कृतिक, सामाजिक और तकनीकी पुनर्स्थापना का आत्मीय अनुष्ठान है। भारत की विविधता को शक्ति में बदलने, कृत्रिम बुद्धिमत्ता सहित भाषा प्रौद्योगिकी के बहुआयामी समावेश भारत को ‘डिजिटल लोकतंत्र’ में विकसित करने तथा चेतना जागृति की पहल है। असंख्य बुद्धिजीवियों के आत्मीय सहयोग से ज्ञान-यज्ञ की राष्ट्रीय/ अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला शृंखला विगत दिसंबर माह से निरंतर चलाई जा रही है।
इस अनुष्ठान का लाभ उठाने के लिए देश-विदेश से अध्येता, विद्वान, भाषा चिंतक, विद्यार्थी, शिक्षक आदि आमंत्रित हैं। कार्यक्रम का संचालन श्री उमेश कुमार प्रजापति ‘अलख’ तथा डॉ. अनुपमा, प्रवक्ता हिंदी, दिल्ली शिक्षा विभाग, नई दिल्ली द्वारा किया जाएगा।
गूगल मीट पर आयोजित व्याख्यान में शामिल होने के लिए इच्छुक प्रतिभागी https://meet.google.com/art-tauu-pmo लिंक के माध्यम से जुड़ सकते हैं ।