साहित्य

लघु-कथा साहित्य

निधि ‘मानसिंह’ की दो लघुकथा

1 ( इन्सानियत ) रघु, जितना हो सके उतनी तेज रिक्शा चला रहा था। अचानक दूर से एक व्यक्ति हाथ हिला कर उसकी ओर रिक्शा रोकने का इशारा करता हुआ दौडा चला आ रहा था। रघु ने रिक्शा रोकी तो वो आदमी बोला – उसे लाल बत्ती के पास वाले अस्पताल में जाना है। रघु […]

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कविता साहित्य

अंकुर सिंह

हिंदी बने राष्ट्र भाषा हमारा हो निज भाषा पर अधिकार, प्रयोग हिंदी का, करें इसका विस्तार। निज भाषा निज उन्नति का कारक, निज भाषा से मिटे सभी का अंधकार।। हिंदी है हिंदुस्तान की रानी, हो रही अब सभी से बेगानी। अन्य भाषा संग, हिंदी अपनाओ, ताकि हिंदी संग ना हो बेमानी।। माथे की शोभा बढ़ाती बिंदी, निज भाषा जान हैं  हिन्दी। आओ मिल इसका करें विस्तार, […]

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व्यक्तित्व साहित्य

लोकप्रिय गीतकार रामावतार त्यागी

  क्षेमचंद्र ‘सुमन’   ‘‘मेरी हस्ती को तोल रहे हो तुम, है कौन तराज़ू जिस पर तोलोगे? मैं दर्द-भरे गीतों का गायक हूं, मेरी बोली कितने में बोलोगे ?’’ त्यागी की ये पंक्तियां हालांकि मेरे लिए चुनौती हैं, फिर भी मैं उसकी हस्ती को तोलने और उसके दर्द-भरे गीतों की बोली बोलने की हिम्मत कर […]

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