Month: April 2023

गाँधी युगीन हिंदी पत्रकारिता और साहित्यकार सन् 1920 से 1947 ई.
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- April 1, 2023
अमन कुमार तत्कालीन परिस्थितियाँ गाँधी युगीन पत्रकारिता से पूर्व प्रायः सभी पत्र-पत्रिकाओं के संपादक साहित्यिक होने से उनमें साहित्य की सामग्री अधिक रहती थी किंतु ‘‘अब संपादकों की लेखनियाँ अधिकतर राजनीतिक विषयों पर अपना कौशल दिखाने लगीं और उन्हें बड़ी लोकप्रियता मिली।’’1 पत्रकारिता के लिए यह काल ‘भूमिगत पत्रकारिता’ का काल भी कहा जा सकता […]
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हिंदी पत्रकारिता का तिलक युग और साहित्यकारों की भूमिका सन् 1900 से 1919 ई.
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- April 1, 2023
अमन कुमार तत्कालीन परिस्थितियाँ पत्रकारिता का यह युग विशेष रूप से बालगंगाधर तिलक और हिंदी साहित्य के निर्माता महावीर प्रसाद द्विवेदी का युग है। स्वतंत्रता आंदोलन के लिये गर्म दल का उदय हो चुका था। जब सन् 1892 के भारतीय काॅन्सिल्स अधिनियम के द्वारा गर्मदल वालों की भावनाएँ सन्तुष्ट नहीं हुई तो उन्होंने जोरदार प्रतिक्रियाएँ […]
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नवजागरण कालीन साहित्यकारों की हिंदी पत्रकारिता सन् 1826 से 1899 ई.
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- April 1, 2023
अमन कुमार तत्कालीन परिस्थितियाँ इस समय देश के हालात बहुत अच्छे नहीं थे। भारत की सत्ता मुगलों के हाथों से लगभग निकल चुकी थी। पुर्तगालियों का असर भी कम हुआ था और अंग्रेज संपूर्ण भारत को अपने अधीन कर चुके थे। ‘‘उन्नीसवीं शताब्दी के दूसरे दशक के भारतीय जनजीवन में ब्रिटिश साम्राज्य की दहशत […]
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हिंदी पत्रकारिता का उद्भव और विकास
- editor
- April 1, 2023
अमन कुमार पत्रकारिता का मूल उद्देश्य सूचना देना है। सूचना देने का काम मानव तब से करता आ रहा है, जब वह विकास की शैशवावस्था में था, क्योंकि ‘‘आत्माभिव्यक्ति मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्ति है। मानव जब तक अपने बंधु-बान्धवों, स्वजन-परिजनों, इष्ट-मित्रों आदि के सम्मुख अपने भावों और विचारों को अभिव्यक्त नहीं करता, तब तक उसे […]
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साहित्य और पत्रकारिता का अंतः सम्बंध
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- April 1, 2023
अमन कुमार साहित्य और पत्रकारिता को कितना भी अलग करने की चेष्टा की जाये परंतु साहित्य और पत्रकारिता को अलग नहीं किया जा सकता। जिस प्रकार साहित्य की विभिन्न विधाएँ अभिव्यक्ति का माध्यम बनती हैं, उसी प्रकार पत्रकारिता भी समाज और समाज में घटने वाली घटनाओं को जानने का माध्यम होती है। साहित्य सृजन की […]
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हिंदी भाषा के विकास में पत्र-पत्रिकाओं का योगदान
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- April 1, 2023
– ऋषभदेव शर्मा हिंदी पत्रकारिता का प्रश्न राष्ट्रभाषा और खड़ी बोली के विकास से भी संबंधित रहा है। हिंदी भाषा विकास की पूरी प्रक्रिया हिंदी पत्रकारिता के भाषा विश्लेषण के माध्यम से समझी जा सकती है। इस विकास में भाषा के प्रति जागरूक पत्रकारों का अपना अपना योगदान हिंदी को मिलता रहा है। ये पत्रकार […]
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कोख़ में हत्या
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- April 1, 2023
अमन कुमार त्यागी सुधा को मुहल्ले भर के सभी बच्चे, जवान और बूढ़े जानते थे। सभी सुधा से बेहद लगाव रखते। सुधा भी तो सभी के दुःख दर्द में शरीक़ होती। वह कहती -दुःख बाँटना आत्मसंतुष्टि का परिचायक है।’ सौम्य, सुंदर, सुशील सुधा ने भले ही मायके में अमीरी के दिन देखे हों मगर ससुराल […]
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