टमाटर को बुखार!

 

✍️ ऋषभदेव शर्मा

पूरे भारत में टमाटर की कीमतों में हालिया बढ़ोतरी चिंता का कारण है। कुछ स्थानों पर टमाटर की कीमत दोगुनी से भी अधिक हो गई है, जिससे आम लोगों के लिए टमाटर खरीदना मुश्किल हो गया है। शुक्र है कि आम चुनाव अभी दूर है वरना टमाटर का यह बुखार कभी का सत्ताविरोधी लू की लहर में बदल गया होता! टमाटर की कीमतों में उछाल के कई कारण बताए जा रहे हैं। पहला ठीकरा मानसून के और दूसरा जलवायु परिवर्तन के सिर फोड़ा जाना स्वाभाविक है। क्योंकि कीमतें वश में रहें तो सरकारें शाबाशी ले लिया करती हैं लेकिन बढ़ने पर ज़िम्मेदारी लेने से कन्नी काट जाती हैं। बेशक टमाटर की खेती के लिए मानसून महत्वपूर्ण है और इस साल देरी के कारण फसल की पैदावार कम हुई है। लेकिन इस समस्या का पूर्वानुमान और उचित प्रबंधन न कर पाने की ज़िम्मेदारी कौन लेगा? यही बात उच्च तापमान के बारे में भी है। उच्च तापमान ने टमाटर की उपज को कुप्रभावित किया है, जिससे फसल की पैदावार में और गिरावट आई है। व्यवस्था चाहे तो उलटे उपभोक्ता को भी टमाटर की इस असामान्य सुर्खी के लिए ज़िम्मेदार ठहरा सकती है। त्योहारों और शादी के सीज़न के कारण इन दिनों टमाटर की माँग बढ़ी जो है! इस बढ़ी हुई माँग ने सप्लाई की जान निकाल दी है, जिससे टमाटर का पारा सातवें आसमान पर चढ़ना स्वाभाविक है।

इन तमाम खूबसूरत बहानों के बावजूद इस बदसूरत सच्चाई को नहीं नकारा जा सकता कि इस मूल्य वृद्धि का अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इससे लोगों के लिए टमाटर खरीदना मुश्किल हो रहा है, जिससे अन्य सब्जियों की माँग में कमी आ रही है। इसका कृषि क्षेत्र पर बुरा असर पड़ रहा है, क्योंकि किसानों को उनकी उपज के लिए कम कीमत मिल रही है।

कीमतों में बढ़ोतरी के राजनैतिक असर से भी बचना मुमकिन नहीं। सरकार पर कीमतों पर नियंत्रण के लिए कदम उठाने का दबाव है। हालाँकि, सरकार अब तक ऐसा करने में असमर्थ रही है। इससे सरकार में विश्वास की कमी हो रही है और इसका असर आगामी चुनावों पर पड़ सकता है। याद रहे कि इस वर्ष कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। आम चुनाव में तो खैर कुछ देर है। इसलिए भी टमाटर की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार को तत्काल कार्रवाई करने की जरूरत है। वरना पहले भी इसकी बहन प्याज ने सल्तनतें गिराई हैं, तो यह भी तख्ता पलटने की कूवत तो रखता ही है! इसलिए सरकार को तुरंत किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने, टमाटर का आयात बढ़ाने और जमाखोरी और कालाबाजारी पर नकेल कसने जैसे उपाय आजमाने चाहिए। सरकार को उन अंतर्निहित समस्याओं का भी समाधान करने की आवश्यकता है जिनके कारण कीमतों में वृद्धि हुई है, जैसे कि विलंबित मानसून और उच्च तापमान। कहना न होगा कि अगर सरकार कार्रवाई करने में विफल रहती है, तो समस्या और भी बदतर हो जाएगी।

आर्थिक और राजनीतिक प्रभावों के अलावा, टमाटर की कीमत में उछाल का सामाजिक प्रभाव भी पड़ रहा है। भारत में टमाटर बहुत से लोगों के मुख्य भोजन का हिस्सा है। कीमतों में असाधारण बढ़ोतरी के कारण उनके लिए दैनिक भोजन का खर्च उठाना मुश्किल हो रहा है। इससे कुपोषण और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा होंगी। टमाटर की कीमतों में यह उछाल भारतीय कृषि क्षेत्र की कमजोरी को उजागर करता है। यह क्षेत्र काफी हद तक मानसून पर निर्भर है, और मानसून चक्र में किसी भी व्यवधान से फसल की पैदावार पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है। सरकार को कृषि क्षेत्र की असुरक्षा को कम करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है, और यह सुनिश्चित करना होगा कि देश भविष्य में कीमतों के झटकों से निपटने के लिए बेहतर ढंग से तैयार हो।

अंततः टमाटर की कीमतों में उछाल खाद्य सुरक्षा के महत्व की भी याद दिलाता है। भारत बढ़ती आबादी वाला एक बड़ा देश है और यह जरूरी है कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए कि हर किसी को किफायती और पौष्टिक भोजन मिले। सरकार को कृषि क्षेत्र में निवेश करने और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने वाली नीतियाँ विकसित करने की ज़रूरत है।

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