ऋषभदेव शर्मा
भारत ने बुधवार, 23 अगस्त, 2023 को चंद्रयान-3 लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतारकर सचमुच इतिहास रच दिया है। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक बड़ी सफलता है; और समग्र रूप से देश के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि। ‘विक्रम’ लैंडर और ‘प्रज्ञान’ रोवर की सफलता भारतीय वैज्ञानिकों की अहर्निश तपस्या का सुफल है।
लैंडिंग एक जटिल और चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन था, क्योंकि दक्षिणी ध्रुव एक ऊबड़-खाबड़ और अज्ञात क्षेत्र है। लेकिन इसरो की टीम ने यहाँ सॉफ्ट लैंडिंग कराकर मनुष्य की जययात्रा का नया अभिलेख भारत और इसरो के प्रतीकों के रूप में चंद्रमा के धरातल पर अंकित कर दिया। रोवर 14 दिनों तक चंद्रमा की सतह की खोजखबर लेगा। यह एक स्पेक्ट्रोमीटर, एक कैमरा और एक मैग्नेटोमीटर सहित विभिन्न प्रकार के वैज्ञानिक उपकरणों से सुसज्जित है।
कहना न होगा कि चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है। यह दुनिया का चौथा सफल चंद्र मिशन और दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला मिशन है। इस सफलता के कई पहलू हैं। सबसे पहले, यह अंतरिक्ष यात्रा करने वाले राष्ट्र के रूप में भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ाता है। यह मिशन एक प्रमुख तकनीकी उपलब्धि है और अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की क्षमताओं को प्रदर्शित करता है। दूसरा, इस मिशन से भारत को चंद्रमा के बारे में और अधिक जानने में मदद मिलेगी। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर द्वारा एकत्र किए गए डेटा से वैज्ञानिकों को चंद्रमा के भूविज्ञान, संरचना और इतिहास को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। तीसरा, यह मिशन युवा भारतीयों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में कैरियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा। चंद्रयान-3 की सफलता से पता चलता है कि भारत अंतरिक्ष अन्वेषण में बड़ी उपलब्धि हासिल करने में सक्षम है। चंद्रयान-3 मिशन का संपूर्ण विश्व पर भी प्रभाव स्वाभाविक है। मिशन द्वारा एकत्र किए गए डेटा को अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय के साथ साझा किया जाएगा। इससे वैज्ञानिकों को चंद्रमा और उसके संभावित संसाधनों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। यह मिशन चंद्रमा पर भविष्य के मानव मिशन के लिए मार्ग प्रशस्त करने में भी मदद कर सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग पर इसरो टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह मिशन भारत के लिए एक “ऐतिहासिक क्षण” और “एक नए भारत की विजय घोष” था। उन्होंने यह भी कहा कि मिशन “भारतीयों की एक पीढ़ी को बड़े सपने देखने और महान चीजें हासिल करने के लिए प्रेरित करेगा।” प्रधानमंत्री ने इसे उचित ही “विकसित भारत का शंखनाद” कहा है। इस अभियान की सफलता निश्चित ही भारत के “विकसित राष्ट्र” बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक मजबूत कदम है। इससे अंतरिक्ष यात्रा करने वाले राष्ट्र के रूप में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ेगी। यह मिशन एक प्रमुख तकनीकी उपलब्धि है और अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की क्षमताओं को प्रदर्शित करता है। इससे भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में निवेश और प्रतिभा को आकर्षित करने में मदद मिलेगी, जिससे देश की तकनीकी क्षमताओं को और बढ़ावा मिलेगा। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर द्वारा एकत्र किए गए डेटा का उपयोग नई तकनीकों को विकसित करने के लिए किया जा सकता है, जैसे कि चंद्र संसाधनों के खनन के लिए या नए चिकित्सा उपचार विकसित करने के लिए। चंद्रयान-3 द्वारा एकत्र किए गए डेटा को अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय के साथ साझा किया जाएगा। इससे अन्य देशों के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करने और अंतरिक्ष अन्वेषण में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
इसलिए, आइए, दिल्ली की युवा कवयित्री मीनू कौशिक के स्वर में स्वर मिलाकर गाएँ-
द्वार खोलकर देखो मामा,लेकर आशा आया हूँ।
धरती माँ ने भेजा मुझको, प्रेम सँदेशा लाया हूँ।।
राखी भेजी है बहना ने, खोज- खबर लेने आया,
भारत का बेटा ‘विक्रम’ हूँ, प्रेम की भाषा लाया हूँ।।
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