
चंचल जी पत्रकारिता के सशक्त हस्ताक्षर
इनके व्यवहार थे उत्तम ।
इन्होंने पत्रकारिता का बढ़ाया मान
इसे बनाया सर्वोत्तम ।
इनके पिता थे श्रीनाथ
ये थे विश्वनाथ ।
चंचल जी ने साहित्य को कभी न होने दिया अनाथ।
इनकी लेखनी थी अविरल पाठकों को दिया ज्ञान ।
ये पत्रकारिता में बनाई
विशिष्ट पहचान ।
आपने महामूर्ख सम्मेलन व कौमुदी महोत्सव का
किया था आगाज़ ।
ये महोत्सव काफी सफलता पाईं ये साहित्य _संस्कृति की बनी आवाज़ ।
आपका नाम गुंजायमान रहेगा जब तक रहेगा धरा _गगन।
आपके चरणों में मेरा शत-शत नमन ।
दुर्गेश मोहन
समस्तीपुर (बिहार)
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