अमुवा की डाल पर,
पड़ गया झूला,
तुम्हारे लिए।
सखियों ने गीत गाए,
मिलकर संग में,
तुम्हारे लिए।
रात दिन हम जागे,
सुबह शाम भागे,
तुम्हारे लिए।
लोगों ने खूब कहा,
चुपचाप हमने सुना,
तुम्हारे लिए।
आज भी दिल में,
वही प्यार है,
तुम्हारे लिए।
सोचिये, तुम भी जरा,
सोच हमने लिया,
तुम्हारे लिए।
जग से भिड़ना पड़ा,
और लड़ना पड़ा,
तुम्हारे लिए।
सावन की ऋतु आई,
बूँद पड़ी सुखदाई,
तुम्हारे लिए।
घेवर और पकवान मिठाई,
से बाजार सजा,
तुम्हारे लिए।
गीत बहुत से गाये,
और संजोये हमने,
तुम्हारे लिए।
मन करता है अक्सर,
मधुर गान गाऊँ,
तुम्हारे लिए।
मन के हर वक्त,
हैं द्वार खुले,
तुम्हारे लिए।
फोन कभी भी करना,
है पूरी छूट,
तुम्हारे लिए।
झूठे वादों से बचना,
है मश्विरा मेरा,
तुम्हारे लिए।
आज भी दिल में,
वही प्यार है,
तुम्हारे लिए।
मन के हर वक़्त
खुले हैं द्वार,
तुम्हारे लिए।
रमेश माहेश्वरी राजहंस
बिजनौर उत्तर प्रदेश