Year: 2025

भाषाई सौहार्द का प्रतीक : हिंदी
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- September 14, 2025
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा लोकप्रिय भाषा के साथ-साथ वर्तमान काल में यह अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में उभर कर आयी है ।यह भाषा विश्व की तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है ।14 सितंबर, 1949 को इसे संविधान ने राष्ट्रभाषा के रूप में घोषणा तो कर दी लेकिन अफसोस यह है कि यह अभी भी […]
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पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला : उप्साला विश्वविद्यालय, स्वीडेन के आचार्य हाइंस वर्नर वेसलर का व्याख्यान
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- September 6, 2025
पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय का हिंदी विभाग 10 सितंबर 2025 को ‘हिंदी को विश्व भाषा बनने के लिए उसकी आवश्यकताओं का निर्धारण – तकनीकी परिवर्तन और भाषा नीति’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित कर रहा है। आचार्य हाइंस वर्नर वेसलर, भाषाविज्ञान और वाङ्मयशास्त्र विभाग, उप्साला विश्वविद्यालय, स्वीडेन सभी आभासी श्रोताओं का ज्ञानवर्धन करेंगे। आचार्य हाइंस ने […]
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भाषाई संस्कारों के कोश थे साहित्यकार त्रिलोचन
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- August 25, 2025
■ डॉ. सम्राट् सुधा मेरा यह सौभाग्य रहा कि प्रगतिवादी काव्य के स्तंभ-कवि त्रिलोचन से मैं जीवन में तीन बार मिल सका। इनमें 28 अक्टूबर, 2001 की भेंट तो नितान्त औपचारिक ही थी, जब रुड़की की एक संस्था के निवेदन पर मैं उन्हें लेने ज्वालापुर ( हरिद्वार ) गया था। फिर ,जून 2005 से […]
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पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय में भारतीय ज्ञान प्रणाली व्याख्यान शृंखला के अंतर्गत ‘भारतीय शब्द यात्रा’ पर व्याख्यानमाला
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- August 24, 2025
‘भारतीय ज्ञान परंपरा’ (Indian Knowledge System) पर विश्वज्ञानपीठ, प्रयागराज के सहयोग से ‘भारतीय शब्द यात्रा’ पर नई अंतरराष्ट्रीय व्याख्यान शृंखला तहत प्रत्येक माह के अंतिम शनिवार ऑनलाइन गूगल मीट पर आयोजित प्रतिष्ठित भाषाविद् आचार्य त्रिभुवननाथ शुक्ल जी का दूसरा व्याख्यान दिनांक 30 अगस्त 2025 को सायं 6.00 बजे आयोजित होगा । आचार्य त्रिभुवननाथ […]
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हर्ष व उल्लास के साथ मनाया गया आर्यंस कॉन्वेंट एकेडमी नजीबाबाद में कृष्ण जन्माष्टमी पर्व
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- August 18, 2025
नजीबाबाद। आर्यंस कॉन्वेंट एकेडमी नजीबाबाद में कृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व बड़े हर्ष व उल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर नन्हे मुन्ने बच्चे राधा कृष्ण की वेशभूषा में विद्यालय में आए उन्होंने अनेक गतिविधि कीं। जैसे एकल नृत्य ,समूह नृत्य , मां यशोदा और कृष्णा से जुड़ी झांकी भी इस अवसर पर […]
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यह समावेश का काल है जिसमें भारतीय भाषाओं के बीच सामंजस्य स्थापित करना होगा : निगम
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- August 18, 2025
नजीबाबाद। समावेशी साहित्य संस्थान के तत्वावधान में ‘समावेशी साहित्य की सारगर्भिता’ विषय पर एक आभासी संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता डाॅ. अखिलेश निगम ‘अखिल’ प्रसिद्ध साहित्यकार एवं पुलिस उपमहानिरीक्षक, उत्तर प्रदेश पुलिस ने की और संचालन श्री उमेश कुमार प्रजापति ‘अलख’ अनुवाद अधिकारी ने किया। कार्यक्रम का प्रारंभ पत्रकार, साहित्यकार, संपादक एवं […]
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शोधादर्श के संपादकाचार्य पंडित रुद्रदत्त शर्मा विशेषांक का विमोचन-लोकार्पण
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- August 18, 2025
धामपुर। शोधादर्श के संपादकाचार्य पंडित रुद्रदत्त शर्मा विशेषांक का विमोचन-लोकार्पण शिवाजी पार्क स्थित पंडित जी की प्रतिमा स्थल पर सम्पन्न हुआ। संपादक आचार्य पंडित रुद्रदत्त शर्मा सम्मान समिति के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता दिनेश चंद अग्रवाल नवीन ने और संचालन डॉ अनिल शर्मा अनिल और मनोज कात्यायन (संयोजक) ने किया। मुख्य अतिथि […]
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15 अगस्त की पूर्व संध्या पर वाणी हिंदी संस्थान नजीबाबाद की महिलाओं ने धूमधाम से मनाया स्वतंत्रता दिवस ।
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- August 15, 2025
नजीबाबाद। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम श्रीमती मीनाक्षी अग्रवाल जी के निवास स्थान पर रखा गया जिसकी अध्यक्ष श्रीमती रश्मि अग्रवाल जी रही । कार्यक्रम मां शारदे के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ हुआ जिसमें सभी बहनों ने मां शारदे के समक्ष पुष्प अर्पित कर नमन किया तत्पश्चात नीरू तागरा जी के […]
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बिजली की बढ़ती कीमतः कैसे बिजली नीति उत्तराखंड से उद्योगों को बाहर धकेल रही है
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- August 14, 2025
बिजली, सिर्फ तारों और वोल्टेज से कहीं अधिक उत्तराखंड में विकास की बुनियाद है। यह क्लीनिक और कोल्ड चेन को ऊर्जा देती है, जो जीवनरक्षक दवाओं को सुरक्षित रखती है। यह कक्षाओं को रोशन करती है और डिजिटल शिक्षा को सहारा देती है। यह छोटे और बड़े उद्योगों की भारी भरकम मशीनरी चलाती […]
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सुन्दरलाल की पुस्तक ‘ भारत में अंगरेजी राज’ भारत में अंगरेजी शासकों के षड्यंत्रों व अत्याचारों का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज
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- August 13, 2025
रुड़की : वर्ष 1929 में प्रकाशित स्वतंत्रता सेनानी एवं इतिहासकार सुन्दरलाल की पुस्तक ‘ भारत में अंगरेजी राज’ भारत में अंगरेजी शासकों के षड्यंत्रों व अत्याचारों का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। इस पुस्तक के परिप्रेक्ष्य में देखें तो कह सकते हैं कि आज जो इतिहास हम पढ़ रहे हैं , वह पूर्णतः अप्रमाणिक तथा असत्य है […]
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