
विधा – छन्दमुक्त
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राज्य बिहार जिला मुंगेर, ग्राम सिमरिया में जन्मे ।
30 सितम्बर 1908 को, रविसिंह-मनरूप देवी के घर में ।।
रामधारी सिंह दिनकर, राष्ट्रकवि दिनकर सदृश थे ।
गद्य-पद्य में सिद्ध महारथ, पढ़ने को सब लोग विवश थे ।।
था ‘विजय सन्देश’ पहला, काव्य संग्रह आपका ।
आलोचना ‘मिट्टी की ओर’,’शुद्ध कविता की खोज’, ‘काव्य की भूमिका’ ।।
यात्रा वृत्तान्त ‘मेरी यात्राएँ’, और दूसरा ‘देश-विदेश’ ।
रेडियो – रूपक ‘हेराम’, संस्मरण ‘शेष-नि:शेष’ ।।
साहित्य अकादमी से पुरस्कृत, ‘संस्कृति के चार अध्याय’ ।
‘कुरुक्षेत्र’ में पद्मभूषण मिला, कीजिए सब स्वाध्याय ।।
ज्ञानपीठ जिसने दिया, वह ‘उर्वशी’ हर उर बसी ।
संस्कृति,समाज,धर्म व्यापित, रूढ़ियों की जड़ डसी ।।
‘रश्मिरथी’,’रसवन्ती’,’रेणुका’, ‘धूप-छाँह’, ‘बापू’, ‘प्रणभंग’ ।
‘हुंकार’,’परशुराम की प्रतीक्षा’, ‘अर्द्धनारीश्वर’ पढ़ अंग दंग ।।
शोषण के थे प्रबल विरोधी, असहायों की आशा थे ।
भारत के श्रेष्ठ सृजनकारों की, ‘माधव’ वे परिभाषा थे ।।
डॉ. सन्तोष कुमार माधव
महोबा (उ.प्र.)