शोध लेख
क्रांति का बीजपत्र : आंचलिक पत्रकरिता
- editor
- April 1, 2023
– अरविंद कुमार सिंह ‘‘खींचो न कमानों को, न तलवार निकालो जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालो।’’ गंगा-यमुना और सरस्वती के संगम की रेती से जब ये क्रांतिकारी पंक्तियां अकबर इलाहाबादी की शायरी से जनमानस के दिलों में उतर रही थीं; तो प्रयाग वैसा नहीं था, जैसा आज दिखता है। तीर्थराज की यह धरती […]
Read Moreभारतीय परिदृष्य में मीडिया में नारी चित्रण
- editor
- April 1, 2023
डाॅ0 गीता वर्मा एसोसिऐट प्रोफेसर, संस्कृत विभाग, बरेली कालेज, बरेली। “नारी तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास रजत नग पग तल में। पीयूशस्त्रोत सी बहा करो, अवनि और अम्बर तल में।।“ महिलाएं पत्रकारिता में मानवीय पक्ष को उजागर करती हैं। जय शंकर प्रसाद के अनुसार ‘नारी की करुणा अंतर्जगत का उच्चतम बिंब है जिसके बल […]
Read Moreआपात्काल, पत्रकारिता और साहित्यकार सन् 1975 से 1979 ई.
- editor
- April 1, 2023
अमन कुमार तत्कालीन परिस्थितियाँ सच यही है कि यह दौर भारत के लिए अच्छा नहीं था। ‘‘यह वह दौर है जब देश आजादी के बाद के सबसे बुरे दौर से गुजरा। आजादी के सपनों का टूटना जो पिछले दशक में शुरू हुआ था वह यहाँ तक आते पूरी तरह बिखर गया। सत्ता में पहली बार […]
Read Moreआजादी आंदोलन – दक्षिण भारत में हिंदी प्रचार और हिंदी पत्रकारिता
- editor
- April 1, 2023
व्याख्यान – ऋषभदेव शर्मा सबसे पहले तो आपको इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के लिए इतना प्रासंगिक और विचारोत्तेजक विषय चुनने के लिए साधुवाद। इस विषय के स्पष्टतः तीन आयाम हैं। पहला आयाम है ‘आजादी आंदोलन’। दूसरा ‘दक्षिण भारत में हिंदी प्रचार’। और तीसरा ‘दक्षिण भारत में हिंदी पत्रकारिता’। मेरा विचार है कि ‘आजादी आंदोलन’ शब्द-युग्म बहुत […]
Read Moreस्वातंत्र्योत्तर हिंदी पत्रकारिता और साहित्यकार सन् 1948 से 1974 ई.
- editor
- April 1, 2023
अमन कुमार तत्कालीन परिस्थितियाँ आजादी के बाद की पत्रकारिता के सामने कोई विशेष मुद्दा नहीं था। देश आजाद हो गया था। विधवा विवाह, बाल विवाह, शादी की उम्र क्या हो, सती प्रथा का विरोध-समर्थन, मुद्दों पर काफी लिखा जा रहा था और लिखना सार्थक भी रहा था। देश के नव-निर्माण, भविष्य की रूपरेखा पर फिलहाल […]
Read Moreगाँधी युगीन हिंदी पत्रकारिता और साहित्यकार सन् 1920 से 1947 ई.
- editor
- April 1, 2023
अमन कुमार तत्कालीन परिस्थितियाँ गाँधी युगीन पत्रकारिता से पूर्व प्रायः सभी पत्र-पत्रिकाओं के संपादक साहित्यिक होने से उनमें साहित्य की सामग्री अधिक रहती थी किंतु ‘‘अब संपादकों की लेखनियाँ अधिकतर राजनीतिक विषयों पर अपना कौशल दिखाने लगीं और उन्हें बड़ी लोकप्रियता मिली।’’1 पत्रकारिता के लिए यह काल ‘भूमिगत पत्रकारिता’ का काल भी कहा जा सकता […]
Read Moreहिंदी पत्रकारिता का तिलक युग और साहित्यकारों की भूमिका सन् 1900 से 1919 ई.
- editor
- April 1, 2023
अमन कुमार तत्कालीन परिस्थितियाँ पत्रकारिता का यह युग विशेष रूप से बालगंगाधर तिलक और हिंदी साहित्य के निर्माता महावीर प्रसाद द्विवेदी का युग है। स्वतंत्रता आंदोलन के लिये गर्म दल का उदय हो चुका था। जब सन् 1892 के भारतीय काॅन्सिल्स अधिनियम के द्वारा गर्मदल वालों की भावनाएँ सन्तुष्ट नहीं हुई तो उन्होंने जोरदार प्रतिक्रियाएँ […]
Read Moreनवजागरण कालीन साहित्यकारों की हिंदी पत्रकारिता सन् 1826 से 1899 ई.
- editor
- April 1, 2023
अमन कुमार तत्कालीन परिस्थितियाँ इस समय देश के हालात बहुत अच्छे नहीं थे। भारत की सत्ता मुगलों के हाथों से लगभग निकल चुकी थी। पुर्तगालियों का असर भी कम हुआ था और अंग्रेज संपूर्ण भारत को अपने अधीन कर चुके थे। ‘‘उन्नीसवीं शताब्दी के दूसरे दशक के भारतीय जनजीवन में ब्रिटिश साम्राज्य की दहशत […]
Read Moreहिंदी पत्रकारिता का उद्भव और विकास
- editor
- April 1, 2023
अमन कुमार पत्रकारिता का मूल उद्देश्य सूचना देना है। सूचना देने का काम मानव तब से करता आ रहा है, जब वह विकास की शैशवावस्था में था, क्योंकि ‘‘आत्माभिव्यक्ति मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्ति है। मानव जब तक अपने बंधु-बान्धवों, स्वजन-परिजनों, इष्ट-मित्रों आदि के सम्मुख अपने भावों और विचारों को अभिव्यक्त नहीं करता, तब तक उसे […]
Read Moreसाहित्य और पत्रकारिता का अंतः सम्बंध
- editor
- April 1, 2023
अमन कुमार साहित्य और पत्रकारिता को कितना भी अलग करने की चेष्टा की जाये परंतु साहित्य और पत्रकारिता को अलग नहीं किया जा सकता। जिस प्रकार साहित्य की विभिन्न विधाएँ अभिव्यक्ति का माध्यम बनती हैं, उसी प्रकार पत्रकारिता भी समाज और समाज में घटने वाली घटनाओं को जानने का माध्यम होती है। साहित्य सृजन की […]
Read More