साहित्य

कविता

गांधी जयंती के अवसर पर

  बाल-कविता महात्मा का स्मरण भारत माता ने महानतम पुत्र अनेक जने हैं। ‘बापू’ पद के अधिकारी बस मोहनदास बने हैं।। हम सब उनको आज महात्मा गांधी कहते हैं। भारत के जन गण के मन में सचमुच रहते हैं।। वे अपने जीवन में सबको प्रेम सिखाते थे। सत्य, अहिंसा में निष्ठा का मार्ग दिखाते थे।। […]

Read More
पुस्तक समीक्षा

तेलंगाना प्रदेश एवं हिंदी की स्थिति

इस पुस्तक के उपोदघात में लेखिका अपने अर्धशतकीय हिंदी यात्रा के अनुभव का परिचय देते हुए कहती हैं- ‘दक्षिण में द्रविड़ संस्कृति एवं तेलंगाना की मूल भाषा तेलुगु के साथ हैदराबाद शहर में रहने वाले लोग उर्दू एवं दक्षिणी हिंदी की जानकारी स्वयंमेव प्राप्त कर लेते हैं।’ (पृ. ‘उपोदघात’) ‘तेलंगाना का निर्माण एवं इसकी संस्कृति’ […]

Read More
व्यक्तित्व

विश्व शांति के लिए गांधी ही विकल्प… पर गांधी विरासत बचाना भी जरूरी

  प्रो. कन्हैया त्रिपाठी गांधी जी के संदर्भ में अलबर्ट आइंस्टीन का वह कथन अब प्रायः लोग स्मरण करते हैं जो उन्होंने 20वीं शताब्दी के मध्य में कही थी कि- दुनिया एक दिन आश्चर्य करेगी कि गांधी जैसा कोई हाड़ मांस का पुतला इस धरती पर कभी चला होगा। जीवन कृपा पर नहीं जी सकते […]

Read More
व्यक्तित्व

मैं गांधी बोल रहा हूँ….

  डाॅ. जी. नीरजा अहिंसा प्रचंड शस्त्र है। इसमें परम पुरुषार्थ है। यह भीरु से दूर-दूर भागती है, वीर पुरुष की शोभा है, उसका सर्वस्व है! यह शुष्क, नीरस, जड़ पदार्थ नहीं है, यह चेतनमय है। यह आत्मा का विशेष गुण है। आप मानो या न मानो, मैंने इसका वर्णन परम धर्म के रूप में […]

Read More
व्यक्तित्व

मानवता के प्रामाणिक संत हैं महात्मा गांधी

  अरविंद जयतिलक ऐसे समय में जब संपूर्ण विश्व में हिंसा का बोलबाला है, राष्ट्र आपस में उलझ रहे हैं, मानवता खतरे में है, गरीबी, भूखमरी और कुपोषण लोगों का जीवन लील रही है तो गांधी के विचार बरबस ही प्रासंगिक हो जाते हैं। मौजूदा दौर में विश्व समुदाय भी महसूस करने लगा है कि […]

Read More
कहानी

बंजर धरती

  डॉ अशोक रस्तोगी मेले में लगी दुकानों का अवलोकन करते, दुकानदारों से वस्तुओं का मोलभाव करते,कंधे टकराती भीड़ के मध्य संभल-संभलकर चलते दिव्यांशी कब अपने भैया-भाभी से बिछड़ गई कुछ पता नहीं चल पाया? उन्हें ढूंढती-खोजती वह दुकानों के मध्य बने लंबे गलियारे को पार करती हुई खुले स्थान में पहुंची तो विद्युत चालित […]

Read More
व्यंग्य

विमोचन एक हिन्दी पुस्तक का

रमेशराज यूं तो हमारे देश में कई हिन्दी पुस्तकों के भव्य और विशाल विमोचन पांचतारा होटलों से लेकर महाविद्यालयों के सुसज्जित प्रांगणों में बड़े-बड़े हिन्दी प्रवक्ताओं के मक्खनबाजी से भरे पर्चों और अध्यक्ष की कराहती हुई तकरीर के मध्य सम्पन्न हुए हैं! किन्तु जिस पुस्तक-विमोचन की चर्चा यहां की जा रही है, वह एक ऐतिहासिक […]

Read More
कविता

गुरु हमारे जीवन दाता

  माँ देती जन्म हमें, पिता देता साया हमें लेकिन गुरु देता सबसे अनमोल ज्ञान सिखाता मानवता का पाठ हमें। मानो गुरु एक है शिल्पकार, देते कच्ची मिट्टी को आकार- प्रकार, हैं भाग्य विधाता हमारा वे, ज्ञान का अविरल स्रोत जहाँ। सत्य – न्याय के पथ पर चलना जीवन के हर संघर्षों से, सिखाते हैं […]

Read More
कविता

गुरु

  शिक्षा ही अनमोल धरोहर है हमारी। बिन गुरु शिक्षा असंभव है हमारी॥ गुरु ही सखा, गुरू ही माता-पिता का रूप है। गुरु ही शिष्य की आत्मीयता का स्वरूप हैं।। अंधेरी राहो में भी जो प्रकाश की राह दिखाता है। गुरु ही सफलता की रुकावटों से लड़ना सिखाता है।। बिन गुरु अर्जुन जैसा धर्नुधारी बनना […]

Read More
कविता साहित्य

ग़ज़ल/आदित्य आजमी

ग़ज़ल सिसक रही सदी लिखो कवि, सूख रही है नदी लिखो कवि! नेकी का तो पतन हो रहा है, बढ़ रही है बदी लिखो कवि! किसी दिन घर को गिरा देगी, ये बुनियादी नमी लिखो कवि! मंगल पर जाने की तैयारी है, कम पड़ती जमीं लिखो कवि! आधुनिकता के इस काल मे, गुम हो गई […]

Read More