साहित्य

कविता

गुरु हमारे जीवन दाता

  माँ देती जन्म हमें, पिता देता साया हमें लेकिन गुरु देता सबसे अनमोल ज्ञान सिखाता मानवता का पाठ हमें। मानो गुरु एक है शिल्पकार, देते कच्ची मिट्टी को आकार- प्रकार, हैं भाग्य विधाता हमारा वे, ज्ञान का अविरल स्रोत जहाँ। सत्य – न्याय के पथ पर चलना जीवन के हर संघर्षों से, सिखाते हैं […]

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कविता

गुरु

  शिक्षा ही अनमोल धरोहर है हमारी। बिन गुरु शिक्षा असंभव है हमारी॥ गुरु ही सखा, गुरू ही माता-पिता का रूप है। गुरु ही शिष्य की आत्मीयता का स्वरूप हैं।। अंधेरी राहो में भी जो प्रकाश की राह दिखाता है। गुरु ही सफलता की रुकावटों से लड़ना सिखाता है।। बिन गुरु अर्जुन जैसा धर्नुधारी बनना […]

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कविता साहित्य

ग़ज़ल/आदित्य आजमी

ग़ज़ल सिसक रही सदी लिखो कवि, सूख रही है नदी लिखो कवि! नेकी का तो पतन हो रहा है, बढ़ रही है बदी लिखो कवि! किसी दिन घर को गिरा देगी, ये बुनियादी नमी लिखो कवि! मंगल पर जाने की तैयारी है, कम पड़ती जमीं लिखो कवि! आधुनिकता के इस काल मे, गुम हो गई […]

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पुस्तक समीक्षा

मानवीय संवेदनाओं का चित्रण कहानी-संग्रह ’वो मिले फेसबुक पर’

सुरेन्द्र अग्निहोत्री जब जुपिन्द्रजीत सिंह का कहानी-संग्रह ’वो मिले फेसबुक पर’ मेरे हाथों में आया तो बस पढ़ता ही चला गया। उनकी कहानियाँ मन-मस्तिश्क को झिंझोड़ती ही नहीं, बल्कि मस्तिश्क में अपने लिए एक कोना स्वयं ही तलाष कर जगह बना लेती हैं। साथ ही पाठक को सोचने पर विवष कर देती हैं और एक […]

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व्यंग्य साहित्य

भईया जी और सोशल मीडिया

  अनिल शर्मा ‘अनिल’ भईया जी को अहम और वहम दोनों का ही मीनिया है। अहम इस बात का कि सोशल मीडिया किंग कहने लगे है लोग और वहम इस बात का कि इनसे अच्छा और बड़ा साहित्यकार कोई नहीं है। अपनी मस्ती में, पूरी बस्ती में भईया जी लंबा कुर्ता और चैड़ा पायजामा पहने […]

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कविता

सोशल मीडिया

  जब से आया है मोबाइल, बदला है ये जमाना देश विदेश की बातों को, घर बैठे हमने जाना भूले हैं सभ्यता को, भूले हैं संस्कृति को ॥ दुनिया भर की बातें सीखीं, भूल गये अपनापन सारा समय फोन को देते, अपनों से बिछड़े हम बात न घर में करते, चैट लोगों से करते॥ ज्ञान […]

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कहानी

मुझे फोन कर देना

प्रवासी पंजाबी कहानी   मूल – रविंदर सिंह सोढी अनु – प्रो. नव संगीत सिंह शिफाली ने मोबाइल का अलार्म बंद कर दिया। शनिवार का का दिन था, इसीलिए वह देरी से उठी। कोरोना के कारण जब से उसने घर से आॅफिस का काम करना शुरू किया था, तब से वह सुबह देर से ही […]

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व्यंग्य

सतयुग आ गया

  डाॅ. दलजीत कौर कल पड़ोसी प्रेमचंद जी ने बताया -सतयुग आ गया। जिस सतयुग की तलाश महापुरुषों को थी। जिस के लिए संत तपस्या कर रहे थे। जिसका वर्णन केवल धर्म-ग्रंथों में था। वह आ गया। आकाश साफ, नदियाँ नीली, जल, वायु, पृथ्वी प्रदूषण रहित हो गए। चिड़ियाँ लौट आईं हैं। जीव-जंतु खुशी से […]

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व्यक्तित्व

हल्का होने का अहसास : मिलान कुंदेरा

श्रद्धांजलि लेख   प्रो. गोपाल शर्मा   “और जल्दी ही युवती सिसकी लेने के बजाय ज़ोर–ज़ोर से रोने लगी और वह यह करुणाजनक पुनरुक्ति दोहराती चली गई, ”मैं मैं हूँ, मैं मैं हूँ, मैं मैं हूँ ….” आज जब अचानक मिलान कुंदेरा के निधन का समाचार सुना तो उनकी एक कहानी के अनुवाद की ये अंतिम पंक्तियाँ याद […]

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कविता

सिसक रही सदी लिखो कवि/आदित्य आजमी

    ग़ज़ल सिसक रही सदी लिखो कवि, सूख रही है नदी लिखो कवि! नेकी का तो पतन हो रहा है, बढ़ रही है बदी लिखो कवि! किसी दिन घर को गिरा देगी, ये बुनियादी नमी लिखो कवि! मंगल पर जाने की तैयारी है, कम पड़ती जमीं लिखो कवि! आधुनिकता के इस काल मे, गुम […]

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