साहित्य

पुस्तक समीक्षा साहित्य

एक बेगम की जिन्दगी का सच

जिसमें इतिहास की गरिमा और साहित्य की रवानी है   अनिल अविश्रांत    कहा जाता है कि कुछ सच कल्पनाओं से भी अधिक अविश्वसनीय होते हैं। ‘बेगम समरू का सच’ कुछ ऐसा ही सच है। एक नर्तकी फरजाना से बेगम समरू बनने तक की यह यात्रा न केवल एक बेहद साधारण लड़की की कहानी है बल्कि एक ऐसे युग से गुजरना है जिसे इतिहासकारों ने […]

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कविता साहित्य

मन समर्पित, तन समर्पित

मन समर्पित, तन समर्पित, और यह जीवन समर्पित। चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ। माँ तुम्‍हारा ऋण बहुत है, मैं अकिंचन, किंतु इतना कर रहा, फिर भी निवेदन- थाल में लाऊँ सजाकर भाल मैं जब भी, कर दया स्‍वीकार लेना यह समर्पण। गान अर्पित, प्राण अर्पित, रक्‍त का कण-कण समर्पित। चाहता […]

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पुस्तक समीक्षा साहित्य

कड़वे यथार्थ की चित्रकारी…

भारतीय साहित्य में व्यंग्य लेखन की परंपरा बहुत समृद्ध रही है। ऐसा माना जाता है कि यह कबीरदास, बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमधन’, प्रतापनारायण मिश्र से आरंभ हुई, कालान्तर में शरद जोशी, श्रीलाल शुक्ल, हरिशंकर परसाई, रवीन्द्रनाथ त्यागी, लतीफ घोंघी, बेढब बनारसी के धारदार व्यंग्य-लेखन से संपन्न होती हुई यह परंपरा वर्तमान समय में ज्ञान चतुर्वेदी, सूर्यकुमार […]

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व्यक्तित्व साहित्य

ग़ज़ल सम्राट: दुष्यंत कुमार

अमन कुमार /आलोक कुमार  दुष्यंत कुमार का जन्म उत्तर प्रदेश में जनपद बिजनौर के ग्राम राजपुर नवादा के जमींदार परिवार में 1 सितंबर 1933 को हुआ था। आपकी माता जी का नाम श्रीमती राम किशोरी देवी एवं पिता का नाम चैधरी भगवत सहाय था। कवि की प्रारंभिक शिक्षा गाँव की ही पाठशाला में हुई। 1948 […]

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व्यक्तित्व साहित्य

पं. पद्मसिंह शर्मा और ‘भारतोदय’

– अमन कुमार ‘त्यागी’ पं. पद्मसिंह शर्मा का जन्म सन् 1873 ई. दिन रविवार फाल्गुन सुदी 12 संवत् 1933 वि. को चांदपुर स्याऊ रेलवे स्टेशन से चार कोस उत्तर की ओर नायक नंगला नामक एक छोटे से गाँव में हुआ था। इनके पिता श्री उमराव सिंह गाँव के मुखिया, प्रतिष्ठित, परोपकारी एवं प्रभावशाली व्यक्ति थे। […]

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निबंध साहित्य

मजदूरी और प्रेम

– सरदार पूर्ण सिंह हल चलाने वाले का जीवन हल चलाने वाले और भेड़ चराने वाले प्रायः स्वभाव से ही साधु होते हैं। हल चलाने वाले अपने शरीर का हवन किया करते हैं। खेत उनकी हवनशाला है। उनके हवनकुंड की ज्वाला की किरणें चावल के लंबे और सुफेद दानों के रूप में निकलती हैं। गेहूँ […]

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कहानी साहित्य

बस एक फ़ोन

-प्रगति गुप्ता “पूर्वा!दो तीन दिन से तेरे बारे में सोच रही थी बेटा।सोचा तुझे फ़ोन ही कर लूँ।आजकल मैं जयपुर आई हुई हूँ। तेरे अंकल की तबीयत कुछ ज्यादा खराब हो गई थी। तुम, विजय और बच्चे सब सकुशल तो हो ना बेटा। बहुत दिनों से कोई बातचीत भी नहीं हुई..कोई खास वज़हतो नहीं।”… सुदर्शना […]

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कहानी साहित्य

मंजिलें ! और भी हैं ….।

       इस जिंदगी का भी ,कुछ पता नहीं है ..ना जाने ! कब किस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दे…इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। जिंदगी में जब सब कुछ अच्छा चल रहा होता है, तभी अचानक एक झटका सा लगता है… और सारे समीकरण गड़बड़ा जाते हैं ,और आदमी […]

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लघु-कथा साहित्य

जानकर महिला

सन्नाटे को चीरती हुई घर में सुमन की  जोर से आवाज आई – अरे वाह ! क्या बात है , आज मैं बहुत खुश हूँ । मैं बता नहीं सकती मुझे कैसा लग रहा है । ( ऐसा कहती हुई सुमन रसोईं बन्दकर कमरे की तरफ गई ) सुमन – हाय राम , जल्दी करूँ […]

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पुस्तक समीक्षा साहित्य

जिंदगी के अनुभवों की परतें-स्टेपल्ड पर्चियाँ

भारतीय ज्ञानपीठ  प्रकाशन से प्रकाशित सुप्रसिद्ध लेखिका प्रगति गुप्ता का कहानी संग्रह ‘स्टेपल्ड पर्चियाँ’ जैसे बेशुमार अनुभवों का खजाना है। प्रत्येक व्यक्ति का जीवन अनेकानेक अनुभवों से गुजरता है। हर अनुभव एक कहानी बनकर उसकी स्मृतियों में स्टेपल होती रहती है और ऐसी कई कहानियाँ परत दर परत स्टेपल होकर कई गड्डियाँ बन जातीं हैं। […]

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