जानकर महिला

सन्नाटे को चीरती हुई घर में सुमन की  जोर से आवाज आई – अरे वाह ! क्या बात है , आज मैं बहुत खुश हूँ । मैं बता नहीं सकती मुझे कैसा लग रहा है ।
( ऐसा कहती हुई सुमन रसोईं बन्दकर कमरे की तरफ गई )
सुमन – हाय राम , जल्दी करूँ । पहले मैं अपने जरूरी कागज ( प्रमाणपत्र ) आदि निकाल लूँ । आधार कार्ड खोजते हुए याद आया , उसे तो मैंने किताब में रखा है । झटपट किताबों की मेज पर रखी सारी किताबें सुमन एक साँस में पलट डाली ।
तभी फोन की घण्टी बजी – ( दूसरी तरफ सुमन की सहेली )
हलो , हाँ सुमन तुमने कुछ सुना । शिक्षक की भर्ती का फॉर्म आ गया है । फॉर्म भरो और पढ़ाई शुरू कर दो ।
सुमन – हाँ , मैंने सुना । अब पूरे जोश के साथ पढ़ाई में जुट जाना है ।
इस तरह की बातें करके सुमन फोन रखती है । चलो जल्दी- जल्दी काम समेट लूँ  , पढ़ने भी बैठना है । आज से सुमन सुबह जल्दी ही घर के काम करके पढ़ने बैठ जाती थी ।
( एक सप्ताह बाद )
सुमन – पता नहीं मुझे पेट में कुछ एसिडिटी जैसा लग रहा है  । चलो थोड़ा टहल लेती हूँ ।
( टहलते हुए सुमन पति से बात करती है ) – हलो क्या कर रहे हैं आप ?
सुधीर – कुछ नहीं , अपना बताओ । पढ़ाई चल रही है कि नहीं ।
सुमन – हाँ , पढ़ रही हूँ । लेकिन पता नहीं क्यों बहुत एसिडिटी हो गई है , और गला बहुत जल रहा है ।
सुधीर – कुछ नहीं , होता है कभी – कभी ।
सुमन – हाँ , मुझे भी लग रहा है । चलिए फोन रखती हूँ टहलने से थोड़ा आराम हुआ है ।
ऐसा कहकर सुमन फोन रख देती है । किताबों की दुनिया में रमी  हुई सुमन पढ़ाई के अलावा कुछ और बात सोचती ही नहीं ।
पढ़ाई और स्वास्थ्य में तारतम्यता बनाते हुए पन्द्रह दिन बीत गए । जैसे – जैसे ही पाठ्यक्रम आगे बढ़ता उसी गति से शारीरिक समस्याएं भी बढ़ती जा रही थी ।
सुमन – हे भगवान , पता नहीं क्या हो गया  । कभी कुछ – कभी कुछ । अब तो माहवारी के दिन भी आने वाले हैं । लेकिन ये समस्याएं खत्म ही नहीं हो रही हैं ।
इस तरह सहते और पढ़ते हुए एक सप्ताह और बीत गए । अब एक नई समस्या ने जन्म ले लिया – खुजली । जो पहले से ज्यादा विकट और न बताने योग्य थी ।
सुमन – अब  मैं डॉक्टर से सम्पर्क करूँगी ।
( पति को फोन करते हुए ) – कहाँ हैं आप ? बाहर हैं क्या ?
मुझे आपसे बात करनी है । मुझे डॉक्टर के पास जाना है । इस हप्ते आप उसी हिसाब से छुट्टी लेकर आइयेगा ।
सुधीर – ठीक है , मैं इस बार दवा लेकर आऊँगा । खाओगी ठीक हो जाओगी । परेशान ना हो ।
सुमन – ठीक है । ( ऐसा कहकर फोन रख देती है )
दूसरे दिन सुमन की तबियत उसे किताबों से दूर होने पर मजबूर कर दिया । आज मैं पहले किसी जानकार महिला से बात करूँगी । जो मेरी समस्या समझ सके । तब उसे अपनी पुरानी सहेली याद आती है , जो एक अस्पताल में नर्स है ।
सुमन – ( फोन करते हुए ) हलो प्रिया मैं सुमन बोल रही हूँ ।
प्रिया – हाँ बोलो , बड़े दिन बाद याद की हो । ( हँसते हुए)
कैसी हो ?
सुमन – क्या बताऊँ , कैसी हूँ । इतना कहते हुए सुमन अपनी सारी समस्या प्रिया को बताती है ।
प्रिया – अच्छा , ये बात है । ये बताओ  तुम्हें माहवारी कब आई थी ?
सुमन – ( सोचते हुए ) पता नहीं , अभी तो आई नहीं ।मुझे याद नहीं आ रहा ।
प्रिया – ( हँसते हुए ) ये गर्भधारण के लक्षण हैं । तुम परेशान न हो । अपना ख्याल रखो और डॉक्टर से सम्पर्क करो ।
ऐसा सुनते ही सुमन के हाथ की किताब नीचे गिर गई –
ये क्या कह रही हो ?
अब सुमन को ममता  , स्वास्थ्य और शिक्षा इन सबमें सामंजस्य बैठाना होगा । यह सोचकर वह अंदर तक सिहर उठी ।
( एक सप्ताह बाद पति ने फोन पर रिपोर्ट बताई ) –
रिपोर्ट पॉजिटिव है । तुम माँ बनने वाली हो ।
सुमन – क्या ???? यह सुनकर सुमन मन में तूफ़ान और हाथ में किताब लिए घर के मंदिर में प्रार्थना करती हुई –
धन्यवाद मातारानी ।
अब सुमन दर्द को जीतती हुई ममता और माँ सरस्वती में मधुर सम्बन्ध बनाती हुई निरन्तर पढ़ते हुए …
शुक्ल के अनुसार हिंदी साहित्य की पहली कहानी कौन है ? इंदुमती , उन्नीस सौ ईसवी , किशोरी लाल गोस्वामी ।
आज सुमन खरगोश की गति छोड़कर कछुए के साथ कदम मिलाने लगी । क्योंकि सुमन को विश्वास है  , जीत हमेशा निरन्तर परिश्रम पर आधारित है ।

  शिल्पी शर्मा “निशा”
पति – मदन मोहन मिश्रा
ग्राम – रहसू
पोस्ट – सिन्धुआ बाँगर
जिला – कुशीनगर , उत्तर प्रदेश
मो :- 7985504415

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