‘त्रैमासिक निःशुल्क पत्रकारिता कोर्स’

पत्रकारिता उतनी सरल भी नहीं है जितनी कि लोग समझ लेते हैं। पत्रकारिता की अपनी सीमाएं, पीड़ाएं, चिंताएं और सरोकार होते हैं। पत्रकारिता और उसके हितों के प्रति भारतीय संविधान और सरकार लगभग मौन ही हैं। पत्रकारिता को लोकतंत्र का चैथा स्तंभ कहकर लाॅलीपाॅप ही थमाया जाता है। पत्रकारिता को सभी राजनीतिक पार्टियां अपने लिए इस्तेमाल करने का प्रयास करती हैं मगर पत्रकारिता तो निष्पक्षता की विषय-वस्तु है। आजादी के बाद कई बार लगा कि अब पत्रकारिता मर रही हैं, परन्तु पत्रकारिता अभी न सिर्फ जीवित है बल्कि अपना काम भी कर रही है। अधिक जानने के लिए प्रवेश लीजिए हमारे ‘त्रैमासिक निःशुल्क पत्रकारिता कोर्स’ में –
01 अक्टूबर से आॅनलाइन कक्षाएं प्रारंभ हो रही हैं-
फार्म यहां से काॅपी करें-

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