गुरु हमारे जीवन दाता

 

माँ देती जन्म हमें,
पिता देता साया हमें
लेकिन गुरु देता सबसे अनमोल ज्ञान
सिखाता मानवता का पाठ हमें।

मानो गुरु एक है शिल्पकार,
देते कच्ची मिट्टी को आकार- प्रकार,
हैं भाग्य विधाता हमारा वे,
ज्ञान का अविरल स्रोत जहाँ।

सत्य – न्याय के पथ पर चलना
जीवन के हर संघर्षों से,
सिखाते हैं लड़ना गुरु हमारे
सिखाते हैं हमें खुद पर विश्वास करना,
पा सकते हैं हम हर मंजिल,
यह दृढ संयम खुद पर बनाए रखना।

जिसे मिले गुरु का प्रकाश सही,
होता ना जीवन अंधकार कभी,
है गुरु की शिक्षा निस्वार्थ सदा,
मिटा देते खुद को, हमें बनाने में,
नवजीवन व आकार सही।

कहते हैं गुरु
ब्रह्मा, विष्णु, महेश के प्रतिरूप हैं
गुरु हमारी धरती माँ के स्वरूप हैं।
शीश झुका कर श्रद्धा से हम,
करें नमन सदा।
ऐ नवयुवकों!
हो जाए जीवन उज्ज्वल हमारा।

डोली शाह
हैलाकंदी, असम

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

कविता

दुर्गेश मोहन की दो कविताएं

    सदृश पुत्री का अवतरण रागिनी की आंखों के तारे विकास की है प्यारी। सम्पूर्ण दुनिया है इसकी ये हैं सबकी न्यारी। मेरी सदृश प्यारी पुत्री का 14 नवंबर को हुआ है अवतरण। इसे प्यार है भारतमाता से कण _,कण। आरज़ू के जन्म से सभी हुए हर्षित। अपना सम्पूर्ण परिवार भास्कर सदृश हुआ उदित। […]

Read More
कविता

रक्षाबंधन

  रक्षाबंधन का अनमोल त्योहार भाई_बहन का अटूट प्यार। भाई_बहन के रिश्ते का यह है अनुपम उपहार। यह पर्व श्रावण मास के पूर्णिमा को मनाया जाता। इसमें लोग अवश्य सुख_प्रेम है पाता। बहन भाई को बांधती रक्षा सूत्र यह होता अद्भुत और पवित्र। इस पावन अवसर पर यह मनाया जाता सर्वत्र। बहन भाई के जीवन […]

Read More
कविता

गुड़िया

गुड़िया मेरी गुड़िया हंसना, कभी ना तुम रोना । पापा _मम्मी की हो प्यारी, गुरुजन की हो राज दुलारी। सबकी कहना मानना , अच्छी बातें सीखना। मेरी गुड़िया हंसना, कभी ना तुम रोना। गुड़िया पढ़ी और पढ़ कर , वह की समाज का कल्याण। समाज आगे बढ़ा , गुड़िया बनी महान। मेरी गुड़िया हंसना , […]

Read More