शिक्षा ही अनमोल धरोहर है हमारी। बिन गुरु शिक्षा असंभव है हमारी॥
गुरु ही सखा, गुरू ही माता-पिता का रूप है।
गुरु ही शिष्य की आत्मीयता का स्वरूप हैं।।
अंधेरी राहो में भी जो प्रकाश की राह दिखाता है।
गुरु ही सफलता की रुकावटों से लड़ना सिखाता है।।
बिन गुरु अर्जुन जैसा धर्नुधारी बनना मुश्किल था।
बिन गुरु मिल्खा जैसा धावक बनना मुश्किल था।।
गुरु ही शिष्य के भविष्य को उज्ज्वल करता है।
गुरु ही शिष्य को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।।
गुरु के आशीर्वाद से ही हम हर मकाम हासिल करते है।
गुरु के चरण-कमलों में हम सादर प्रणाम करते हैं।।
ज्योति चौधरी