
– ऋषभदेव शर्मा
18वें जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत पहुँचते ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लंबी बातचीत दोनों देशों के आपसी रिश्तों के सुखद भविष्य का संकेत कही जा सकती है।
यों तो चर्चा कई अहम मुद्दों पर हुई, लेकिन ज़्यादा ज़ोर इस पर रहा कि भारत और अमेरिका के रिश्ते और मजबूत किए जाएँ। मोदी-बाइडेन दोनों ने कहा कि उनकी सरकारें भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी पर काम करती रहेंगी। साथ ही दोनों ने स्वतंत्र, खुले, समावेशी और लचीले भारत-प्रशांत का समर्थन करने में क्वाड की अहमियत को दोहराया। यह भी कि दोनों देश ग्लोबली सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन के लिए मिल-जुलकर काम करेंगे। साथ ही, भारत और अमेरिका रक्षा क्षेत्र में सहयोग के लिए प्रतिबद्ध हैं। जो बाइडेन ने अमेरिका से 31 ड्रोन खरीदने के लिए भारत के रक्षा मंत्रालय से अनुरोध पत्र जारी करने का भी स्वागत किया।
कहना न होगा कि मोदी-बाइडेन की यह मुलाकात भारत के लिए बहुत उत्साहवर्धक रही। अमेरिका ने घोषणा कर दी है कि भारत में अगले 5 वर्षों में 40 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश किया जाएगा। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर भारत की स्थायी सदस्यता के लिए अमेरिका ने अपनी तरफ से पैरवी कर दी है। याद रहे कि चीन के लगातार बाधा डालने के कारण यह मुद्दा वर्षों से अटका हुआ है। अमेरिका का मानना है कि सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता संयुक्त राष्ट्र को अधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण और प्रभावी बनाएगी। इससे परिषद के स्थायी सदस्यों की शक्ति को संतुलित करने में भी मदद मिलेगी।
सयानों की मानें तो यह भी तय हुआ है कि अमेरिका भारत को आने वाले सालों में 31 एमक्यू-9बी आर्म्ड ड्रोन देने वाला है। इसके अलावा अगले साल होने वाले क्वाड सम्मेलन के लिए भी प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी तरफ से राष्ट्रपति जो बाइडेन को निमंत्रण दे दिया है। इस तरह, यह द्विपक्षीय मुलाकात भारत और अमेरिका की दोस्ती को नई ऊँचाई दे गई। इससे भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूती का नया आधार मिलेगा। भारत-प्रशांत क्षेत्र के सामने बढ़ती चुनौतियों जैसे चीन के उदय और आतंकवाद के खतरे के संदर्भ में तो इसकी अहमियत असंदिग्ध है ही। इसके अलावा भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना इसलिए भी दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है कि इससे नौकरियाँ पैदा होंगी और आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
इस मौके पर जारी संयुक्त बयान से पता चलता है कि दोनों नेताओं ने कृत्रिम मेधा (एआई), विज्ञान और रक्षा क्षेत्र में सहयोग पर गहन चर्चा की। दोनों ने प्रौद्योगिकियों पर एक नई भारत-अमेरिका संयुक्त पहल की घोषणा की। यह पहल कृत्रिम मेधा, क्वांटम कंप्यूटिंग और जैव प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर केंद्रित होगी। यह भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी में इन प्रौद्योगिकियों के बढ़ते महत्व का संकेत है। दोनों पक्ष समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद विरोध और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में भी अपने सहयोग को गहरा करने पर सहमत हुए। साथ ही, दोनों विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करने पर भी सहमत हैं। भारत में एक संयुक्त अनुसंधान एवं विकास केंद्र स्थापित करने की संभावना पर भी चर्चा की गई। इसी तरह दोनों नेता ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हुए। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूलन उपायों पर सहयोग के महत्व पर भी चर्चा की। यह भी कि राष्ट्रपति बाइडेन ने जी-20 को वैश्विक सहयोग के लिए एक सफल मंच बनाने के लिए भारत के साथ काम करने की संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
सहयोग के इन विशिष्ट क्षेत्रों के अलावा, संयुक्त बयान ने स्वतंत्र, खुले और नियम-आधारित भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए दोनों देशों की प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की। यह एक महत्वपूर्ण बयान है, क्योंकि यह क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के सामने भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच हितों की बढ़ती समानता को दर्शाता है। 000