1
जो तुम आवाज़ दो
दौड़ी चली आऊं
तुम्हारे लिये।
2
जलती हुई सुबह बुझाऊं
सांझ को मनाऊं
तुम्हारे लिये।
3
आज भी जल रहा
दिया इन्तज़ार का
तुम्हारे लिये।
4
तुम हो ज़िंदगी मेरी
हम क्या हैं
तुम्हारे लिये।
5
गुज़ारी तमाम ज़िंदगी मैंने
तुम बिन भी
तुम्हारे लिये।
6
उम्र भर की उदासी
नीगाहों में तलाश
तुम्हारे लिये।
7
सारे बंधन तोड़ दूं
जीना छोड़ दूं
तुम्हारे लिये।
8
तेरा हर ग़म मेरा
मेरी हर खुशी
तुम्हारे लिये।
9
नदी बहे बादल बरसे
बाग बगीचे सरसे
तुम्हारे लिये।
10
चांद चांदनी नदी किनारा
सब मेरे, मैं
तुम्हारे लिये।
11
डर नहीं ज़माने का
चुप हूं महज़
तुम्हारे लिये।
12
यूं तो नास्तिक हूं
पूजती हूं ईश्वर
तुम्हारे लिये।
13
मौत से लड़ जाऊं
हर गम उठाऊं
तुम्हारे लिये।
14
अंधेरे हों मेरे लिये
रोशनी पग पग
तुम्हारे लिये।
15
दिल खिलोने से तोड़ना
कितना आसान था
तुम्हारे लिये।
16
मेहनत करो मंज़िल पाना
आसन हो जाएगा
तुम्हारे लिये।
17
कोरी कोरी आंखों में
कोई ख़्वाब सजाऊं
तुम्हारे लीये
18
धूप हो तुम्हरे सिरहाने
साया बन जाऊं
तुम्हारे लिये।
19
धरती अम्बर काग़ज़ बना
प्रेम गीत लिखूं
तुम्हारे लिये।
20
नफ़स नफ़स में बेक़रारी
आंखों की ख़ुमारी
तुम्हारे लिये।
21
अब तक था क़रार
हुआ दिल बेक़रार
तुम्हारे लिये।
22
वतन के क्या माने
बता ऐ नौजवान
तुम्हारे लिये।
23
भूखे की भूख के
क्या माने हैं
तुम्हारे लिये।
24
जांत-पांत नफ़रत विहीन
हो सुन्दर संसार
तुम्हारे लिये।
25
मेरा तन मन धन
ऐ मेरे वतन
तुम्हारे लिये।
26
जानती हूं अधूरी है
ज़िंदगी, मेरे बिना
तुम्हारे लिये।
27
सारी दुनिया दुश्मन हुई
जब मैं बोली
तुम्हारे लिये।
28
जमाना मुझे क्या ठुकराएगा
मैं ठुकराऊं जमाना
तुम्हारे लिये।
29
ऐ हुश्न ठीक नहीं
यूं बेपर्दा होना
तुम्हारे लिये।
30
बिंदिया, काजल, चूड़ी, पायल
सजाया रूप अनूप
तुम्हारे लिये।
31
जो ठान लो तुम
क्या है मुशिकल
तुम्हारे लिये।
32
थमी सी ज़िंदगी मगर
चलती रही धड़कने
तुम्हारे लिये।
33
हर अहसास तुम्हारे लिये
हर एक आस
तुम्हारे लिये।
34
पथरीली पगडंडियों पर बिछाऊं
दुआओं का मखमल
तुम्हारे लिये।
35
जो सचमुच हो इंसान
ज़रूरी है इंसानियत
तुम्हारे लिये।
36
चलो वक्त के साथ
नहीं रुकेगा वक्त
तुम्हारे लिये।
37
बूढ़ा हुआ जीवन पेड़
मन शाखाएं हरी
तुम्हारे लिये।
38
मत बैठ भाग्य भरोसे
यह नहीं उचित
तुम्हारे लिये।
39
दौलत नहीं ऐ मनुज
इज़्ज़त जरूरी है
तुम्हारे लिये।
40
विष बन जाएगी देखना
नशे की लत
तुम्हारे लिये।
41
आंखें नशे का घोल
लरज़ते से बोल
तुम्हारे लिये।
42
रात की चादर पर
चांद का तकिया
तुम्हारे लिये।
43
खुशी की तरंग हो
उत्साह, उमंग हो
तुम्हारे लिये।
44
पारस बन चमको सदा
मेरा यह आशीष
तुम्हारे लिये।
45
आनंद की लहर हो
सुख का किनारा
तुम्हारे लिये।
46
धूप कोई कैसे जलाएगी
आशीषों की छांव
तुम्हारे लिये।
47
रेशमी शब्दों से बुनी
एक मुलायम दुनिया
तुम्हारे लिये।
48
जिसको तुमने सागर समझा
रचा उसने सहरा
तुम्हारे लिये।
49
भ्रूण हत्यारों ख़ुदा बनाये
ख़ंजरों का जंगल
तुम्हारे लिये।
50
विष को अमृत मान
पी गई मैं
तुम्हारे लिये।
51
जान गई हूं ख़ुदा !
आदमी खिलौना है
तुम्हारे लिये।
52
दुआ है निर्जन रेगिस्तान
बन जाये गुलिस्तां
तुम्हारे लिये।
53
कभी सोचा नहीं था
हम इतना सोचेंगे
तुम्हारे लिये।
54
रोती आंखें हंस पड़ी
हर ग़म भूला
तुम्हारे लिये।
55
बो रहे सियासी किसान
बीज नफ़रतों के
तुम्हारे लिये।
56
मुद्दतों बाद खोले आज
खिड़की दरवाज़े सिर्फ़
तुम्हारे लिये।
57
वतन हित ठीक नहीं
गुनहगारों से दोस्ती
तुम्हारे लिये।
58
गुनगुना रही मेरे साथ
पोष की रात
तुम्हारे लिये।
59
उनको भी फूल देना
जो बिछाए अंगार
तुम्हारे लिये।
60
मन ज़मीं गीली मिली
कोई रोया आशा
तुम्हारे लिये।
61
समुद्र हुई जाती आंखें
सहरा मन की
तुम्हारे लिये।
62
झर रही शबनम
छिटक रही चांदनी
तुम्हारे लिये।
63
सब्ज़ी नहीं आज खुशियां
ख़रीदना चाहती हूं
तुम्हारे लिये।
64
सरहदों पर तैनात फ़ौजी
अपनों से दूर
तुम्हारे लिये।
65
प्रकृति की अद्भुत छटा
बिखेर रही सौंदर्य
तुम्हारे लिये।
66
ढोल, मजीरा चंग, मृदंग
बीता हुआ ज़माना
तुम्हारे लिये।
67
नित नूतन शृंगार सजाकर
सजती प्रकृति दुल्हन
तुम्हारे लिये।
68
है युवा! आरक्षण है
बहुत बड़ी चुनौती
तुम्हारे लिये।
69
माना दुष्कर बड़ी सदराह
पर है अमृतमयी
तुम्हारे लिये।
70
जलाओ समझ की बत्तियां
ठीक नहीं अंधेरा
तुम्हारे लिये।
71
अंधेरों का ख़ौफ़ क्यों
फिर होगी सहर
तुम्हारे लिये।
72
हम तुम्हे कहते ज़िंदगी
ना आश्ना हम
तुम्हारे लिये।
73
इस तल्ख़ ज़बां ने
पहन रखी ख़ामोशी
तुम्हारे लिये।
74
प्रतीक्षा की सुई में
पिरोई हुई आंखें
तुम्हारे लिये।
75
बावरा हुआ हृदय अधीर
नयनों में नीर
तुम्हारे लिये।
76
शब्द जाने कहां गुम
जब लिखने बैठी
तुम्हारे लिये।
77
उन पलों की स्मृतियां
भरती अनुराग मुझमें
तुम्हारे लिये।
78
सुनाया जो दर्द अपना
असह्य हो जायेगा
तुम्हारे लिये।
79
अश्रु जल से धोती
हृदय मंदिर अपना
तुम्हारे लिये।
80
जो तुम बनो गिरधर
मैं मीरा बनूं
तुम्हारे लिये।
81
सन्नाटा घुला खामोश फ़िज़ां
ख़यालों का आवेग
तुम्हारे लिये।
82
कांटे फूल हो जायें
राहें मख़मल बिछायें
तुम्हारे लिये।
83
फ़क़ीर ने खोल दी
दुआ की झोली
तुम्हारे लिये।
84
बदला है सब कुछ
नहीं बदली मैं
तुम्हारे लिये।
85
दर्द की बज़्म में
आंसू पढ़ते नज़्म
तुम्हारे लिये।
86
उज्ज्वल धवल चांदनी बोऊं
कलुष उखाड़ दूं
तुम्हारे लिये।
87
मन दीवारों पर चिपका
मैल झाड़ दूं
तुम्हारे लिये।
88
आंतक की चिलचिलाती धूप
शीतल आड़ दूं
तुम्हारे लिये।
89
ऊंच, नीच, जांत, पांत
गहरे गाड़ दूं
तुम्हारे लिये।
90
वतन अहित के सारे
अध्याय फाड़ दूं
तुम्हारे लिये।
91
ऐ वतन के पासबां
वतन के नौजवां
तुम्हारे लिये।
92
चुनरिया रंगदार सोलाह शृंगार
चैखट पर इंतज़ार
तुम्हारे लिये।
93
अम्न मांगती मेरी ज़बां
ऐ मेरे हिन्दुस्तां
तुम्हारे लिये।
94
जी करता फिर छेड़ूं
नगम ओ नैकां
तुम्हारे लिये।
95
मिटेगी रात की स्याही
दमकती सुबह आयेगी
तुम्हारे लिये।
96
ना नफ़रत के ज़लज़ले
न जुल्मते जंग
तुम्हारे लिये।
97
नर्म नज़्म ज़ज़्बात की
रच रही हूं
तुम्हारे लिये।
98
ऐ हिम्मत! थम जायेंगे
दरिया के तलातुम
तुम्हारे लिये।
99
पुरवा के होंठों पर
मुग्ध मुग्ध सन्देश
तुम्हारे लिये।
100
सर्द हवाओं में तेज़ी
बुनूं एक स्वेटर
तुम्हारे लिये।