भारतीय साहित्य एवं पत्रकारिता को आभामंडित कर ज्ञान की ज्योति जलाने में कामयाब साहित्यकार थे -विश्वनाथ शुक्ल चंचल। इनसे पाठकगण प्रभावित होकर ज्ञानार्जन और मनोरंजन प्राप्त करते थे ।चंचल जी का जन्म 20 जून ,1936 में हाजीगंज ,पटना सिटी में हुआ था। इनके पिता का नाम श्रीनाथ शुक्ल था। विश्वनाथ शुक्ल ‘चंचल’ की शिक्षा इंटरमीडिएट तक हुई। ये पत्रकार, साहित्यकार और रंगकर्मी थे। ये सर्वप्रथम हिंदुस्तान समाचार में संवाददाता (पटना सिटी) के रूप में नियुक्त हुए ।पुनः समाचार भारतीय (बिहार के प्रमुख) बने। इन्होंने आत्मकथा ,आर्यावर्त के माध्यम से पत्रकारिता की सेवा की ।इनकी प्रथम रचना साप्ताहिक पत्र हिंदुस्तान( दिल्ली) में प्रकाशित हुई थी। साप्ताहिक पत्र धर्मयुग (दिल्ली ), मंगलदीप पत्रिका (मुंबई), किशोर पत्रिका( पटना) इत्यादि में रचना लगातार छपती थी। चंचल जी द्वारा रंगवाणी, इंडियन डेमोक्रेट और मातृभूमि का संपादन किया गया। रंगवाणी साप्ताहिक पत्र हिंदी का शुभारंभ 1965 में पटना सिटी में हुआ, जो निरंतर 11 वर्षों तक प्रकाशित होता रहा। इंडियन डेमोक्रेट अंग्रेजी की स्थापना 1952 में हुई ।सभी पत्र लोकप्रिय रहे , लेकिन रंगवाणी
काफी प्रसिद्धि पाई। इनके द्वारा लिखित पत्र पत्रिकाओं में लगभग 2000 रचनाएं प्रकाशित हुई ,जो साहित्य की शोभा बढ़ाई और धरोहर साबित हुई । इनकी लिखी लगभग 200 नाटकों का प्रसारण आकाशवाणी पटना से हुई थी , जो श्रोताओं के बीच काफी प्रशंसनीय थी। आकाशवाणी पटना और दूरदर्शन पटना से प्रसारित गणेश वंदना प्रसिद्ध थी । इनके द्वारा रचित ‘मतलबी दोस्तों से कैसे मिले‘ ( हास्य व्यंग्य)को काफी सराहना मिली। बनारस से प्रकाशित समाचार पत्र आज में साप्ताहिक धारावाहिक में व्यंग्य रचना ‘डाल -डाल के पात ‘ निकली थी , जो पाठकों के दिलों पर छा गई थी ।इसके अतिरिक्त (जीवनी) रामचंद्र जायसवाल ,डॉक्टर पूर्णेन्दु नारायण सिन्हा (निबंध) पुष्टिमार्ग का हवेली संगीत (कविता) दीपावली , कारगिल संबंधित आदि उत्कृष्ट रचनाएं थीं, जो पाठकों के मध्य सराही गई ।चंचल जी लगभग छः दशक तक पत्रकारिता का अहर्निश सेवा किए।इन्होंने विभिन्न विधाओं में रचनाओं का सृजन किया ।जैसे आलेख ,कविता , संस्मरण , नाटक, व्यंग्य इत्यादि। इन्होंने रंगमंच की स्थापना 1954 में हाजीगंज, पटना सिटी में किया। यह संस्था के संस्थापक निदेशक थे। यह संस्था साहित्य एवं कला संस्कृति का महत्वपूर्ण केंद्र था। चंचल जी कौमुदी महोत्सव और महामूर्ख सम्मेलन मनाया करते थे, जो ऐतिहासिक था । इस कार्यक्रम में महान हस्तियां भाग ले चुके थे। जैसे बिस्मिल्लाह खां , गिरिजा देवी ,शारदा सिन्हा, विंध्यवासिनी देवी, श्यामदास मिश्र, अजीत कुमार अकेला, अनूप जलोटा ,डॉक्टर श्रीरंजन सूरिदेव , राधामोहन,दामोदर प्रसाद अम्बष्ठ,नंदकिशोर यादव, श्याम रजक ,डॉक्टर जगन्नाथ मिश्रा डॉक्टर शैलेंद्रनाथ श्रीवास्तव, केशव कुमार सोनी, राजेंद्र प्रसाद ‘मंजुल‘ इत्यादि। इस प्रकार यह संस्था अपने आप में अनूठा था ।ये प्रतिष्ठित पत्र- पत्रिकाओं के माध्यम से पाठकों को लाभान्वित किए । आप आकाशवाणी पटना और दूरदर्शन पटना से कार्यक्रम प्रस्तुत किए, जो सराहनीय रहा । चंचल जी अपने चाचा जगन्नाथ स्कूल से प्रभावित एवं प्रेरित होकर सफल साहित्यकार_ रंगकर्मी बने। इन पर अपने चाचा की अमिट छाप पड़ी। इनके चाचा जगन्नाथ शुक्ल बिहार की प्रथम भोजपुरी फिल्म गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो में मास्टर साहब का अभिनय कर प्रसिद्धि पाए । ये आकाशवाणी पटना से प्रसारित कार्यक्रम चौपाल में पटवारी जी के किरदार को निभाए ,जो प्रशंसनीय थी। इनके तीन पुत्र तथा तीन पुत्रियां हैं । इनके दो पुत्र पत्रकारिता से संबद्ध हैं । वरीय पत्रकार रजनीकांत शुक्ल (आज , पटना) एवं वरीय पत्रकार रविकांत शुक्ल (राष्ट्रीय सहारा, पटना ) में अपना योगदान दे रहे हैं । चंचल जी द्वारा लिखित आनंद भवन से अखंड भवन (आलेख ) काफी प्रशंसनीय रही ।
महामूर्ख सम्मेलन के स्वर्ण जयंती पर हॉलीवुड अमेरिका से पटना टीम विश्वनाथ शुक्ल ‘चंचल ‘से मिली थी । चंचल जी एवं महामूर्ख सम्मेलन को आधार बनाकर एक वीडियो कैसे तैयार किया गया ,जो दूरदर्शन लंदन से प्रसारित हुआ , जो हर्ष एवं गर्व की बात है । इन्हें बहुत पुरस्कार/ सम्मान से सम्मानित किया गया, जो प्रमुख थे- भूतपूर्व तत्कालीन राज्यपाल सुंदर सिंह भंडारी द्वारा नारायणी कला इंटर विद्यालय के शताब्दी समारोह में सम्मान, अंतर्राष्ट्रीय ब्राह्मण महा संगठन द्वारा बिहार गौरव सम्मान, पाटलिपुत्र परिषद द्वारा कौमुदी रत्न सम्मान , आनंद शास्त्री हिंदी राष्ट्रीय विकास संस्थान द्वारा बिहार गौरव सम्मान, नव शक्ति निकेतन द्वारा साहित्य एवं समाज सेवा सम्मान ,संस्कार भारती के अमृत महोत्सव में संगीत, साहित्य एवं कला के लिए पद्मश्री शैलेंद्रनाथ श्रीवास्तव द्वारा सम्मान, कौमुदी महोत्सव 2017 लाइफटाइम अचीवमेंट सम्मान, 15वां पाटलिपुत्र साहित्य महोत्सव में सुरेंद्र प्रताप सिंह पत्रकारिता एवं जनसंचार संस्थान द्वारा सम्मान आदि ।
चंचल जी साहित्य एवं पत्रकारिता के आधार स्तंभ थे।
ये हमारे प्रेरणास्रोत थे । इनका देहावसान 11 दिसंबर, 2022 को करीब 90 वर्ष की अवस्था में हाजीगंज ,पटना सिटी स्थित अपने आवास पर हो गया । हमें इनसे सीख लेनी चाहिए । आज ये हमारे बीच नहीं हैं ,लेकिन कीर्ति हमेशा के लिए हमारे जेहन में रहेंगे । फूल सूखकर बिखर गए, लेकिन सुवास बनी रहे ।
पत्रकार विश्वनाथ शुक्ल ‘चंचल‘ के प्रति स्वरचित श्रद्धांजलि समर्पित है _
चंचल जी का पत्रकारिता में था अहम योगदान ।
इन्होंने बनाई अपनी
अमिट पहचान।
साहित्य सृजित कर
किए यशोगान।
और ये हमेशा-हमेशा के लिए हम सबों के रहेंगे वरदान।
दुर्गेश मोहन
राघोपुर, बिहटा,
पटना( बिहार)