गुड़िया
मेरी गुड़िया हंसना,
कभी ना तुम रोना ।
पापा _मम्मी की हो प्यारी,
गुरुजन की हो राज दुलारी।
सबकी कहना मानना ,
अच्छी बातें सीखना।
मेरी गुड़िया हंसना,
कभी ना तुम रोना।
गुड़िया पढ़ी और पढ़ कर ,
वह की समाज का कल्याण।
समाज आगे बढ़ा ,
गुड़िया बनी महान।
मेरी गुड़िया हंसना ,
कभी ना तुम रोना ।
दुर्गेश मोहन
समस्तीपुर (बिहार)