
(१)
प्रतिवर्ष महिला दिवस आता,
नारी महत्व बतलाता,
तुम्हारे लिए।
(२)
उसको उसके अधिकार दिलाना,
सुखकर इसका तराना,
तुम्हारे लिए।
(३)
नारी जगत- भाग्य विधाता,
यही बोध कराता,
तुम्हारे लिए।
(४)
मिटाओ उससे राग-द्वेष,
करता निरत उपदेश,
तुम्हारे लिए।
(५)
देना उसको उसका संसार,
तभी जीना-अधिकार,
तुम्हारे लिए।
(६)
मत करना उसका अपमान,
यही नारी- सम्मान,
तुम्हारे लिए।
(७)
नहीं हो एकदिवसीय झाँकी,
कदर रोजाना-बाकी,
तुम्हारे लिए।
(८)
महिला दिवस महत्व-सजे,
नारी-उत्थान बचे,
तुम्हारे लिए।
(९)
नित्य नारी-सम्मान बस,
प्रतिदिन महिला दिवस,
तुम्हारे लिए।
(१०)
दो उसे निरामय परिवेश,
देता ‘सूरज’ संदेश,
तुम्हारे लिए।
पवन कुमार सूरज
देहरादून