कुमार कृष्णन
स्वास्थ्य एक बहुत बड़ा मुद्दा है। विकसित राष्ट्र के महत्वपूर्ण कारकों में सेहत का सवाल महत्वपूर्ण सवाल है। सेहत के यानी स्वास्थ्य के सवाल पर काम करनेवाली संस्थाओं पर नजर डालें तो इनमें ‘स्वस्थ भारत’ का एक स्थान है। आशुतोष कुमार सिंह के कुशल नेतृत्व में स्वास्थ्य के क्षेत्र में लोगों को स्वास्थ्य संबधी सरकारी नीतियों का लाभ आम लोगों में पहुंचाने,उन्हें जागरूक करने का अभियान निरंतर चला रहा है। इसके फलस्वरूप सरकार की नीतियों में भी कई परिवर्तन हुए हैं।
स्वास्थ के सवाल और अभियान से जुड़ने की कहानी मुंबई से शुरू होती है। वे मुंबई में मलाड स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती अपने दोस्त की पत्नी की दवा लेने एक मेडिकल स्टोर गया, उन्होंने आइवी सेट यानी (ग्लूकोज चढ़ाने की दवा) दवाई खरीदी।
जब दाम पूछा तो होश उड़ गए। एक आइवी सेट की कीमत 117 रु. थी, जबकि उसकी असल में कीमत 6-8 रु. होती है। उन्होंने दुकानदार से कहा, 6-7 रु. की चीज की कीमत 50-60 रु. लगाने कहा। लेकिन मेडिकल स्टोस के मालिक ने कम कीमत लगाने से इंकार किया और अंतत: दुकानदार के तय कीमत पर दवा खरीदनी पड़ी। हसके बाद से मुहिम आरंभ हुआ।सबसे पहला अभियान उन्होंने ‘जेनरिक लाइये पैसा बचाइये’ नाम से शुरू किया। इस क्रम में मेरी मुलाकात मध्य प्रदेश के झाबुआ में आयोजित स्वास्थ्य चौपाल में हुई। वहां दवाओं के संदर्भ में चर्चा हो रही थी। इसी क्रम में उन्होंने ‘नो योर मेडिसिन’ के बारे में बताया। अभियान का यह असर हुआ जन औषधि का सवाल राष्ट्रीय विमर्श बना। जहां तक हमें स्मरण है कि 2012 में कुछेक जनौषधि केंद्र थे जो आगे 2024 में बढ़कर 10607 केंद्र काम कर रहे हैं।
स्वस्थ भारत अपने स्थापना काल से ही भारत में स्वास्थ्य जागरूकता का ध्वजवाहक बना हुआ है। अब तक दो बार अलग-अलग विषयों को लेकर पूरे भारत में 42,000 कि.मी. से ज्यादा की स्वस्थ भारत यात्रा, न्यास के यात्रियों ने किया है। पहली यात्रा ‘स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज’ विषय पर थी जबकि दूसरी यात्रा का विषय ‘स्वस्थ भारत के तीन आयामः जनऔषधि, पोषण और आयुष्मान’ था। जबकि पिछले स्वास्थ्य संसद का विषय अमृतकाल में भारत का स्वास्थ्य एवं मीडिया की भूमिका रखा गया था। यह आयोजन माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में आयोजित हुआ था।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में एडवोकेसी का काम कर रही संस्था स्वस्थ भारत (न्यास) के आठ वर्ष पूरे हो गए हैं और नवम वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इस बार स्वस्थ भारत (पंजी न्यास) रामनगरी अयोध्या में तीन दिवसीय स्वास्थ्य संसद का आयोजन करने जा रहा है, जो 19 जुलाई 2024 से शुरु होगा। यह आयोजन अयोध्या के आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रांगण में हो रहा है। इसमें स्वास्थ्य के कई आयामों पर गहन चिंतन होगा। अमृतकाल में भारत का स्वास्थ्य एवं आहार परंपरा विषय इस बार के स्वास्थ्य संसद का थीम है।
हजारों वर्षों से, स्वास्थ्य के प्रति भारत का दृष्टिकोण समग्रता पर आधारित रहा है। हमारे पास निवारक और प्रोत्साहक स्वास्थ्य की एक महान परंपरा है। योग और ध्यान जैसी प्रणालियां अब वैश्विक अभियान बन गई हैं। वे आधुनिक दुनिया के लिए प्राचीन भारत के उपहार हैं। इसी तरह, हमारी आयुर्वेद प्रणाली तंदुरूस्ती का एक संपूर्ण विषय है। भारत की पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणाली के पास बहुत सारे विकल्प हैं। हमारा पारंपरिक आहार, जिसमें मोटे अनाज शामिल है, खाद्य सुरक्षा और पोषण में भी मदद कर सकते हैं। उम्मीद है कि यह आयोजन प्रधानमंंत्री के विजन 2047 को सफलीभूत करने की दिशा में कारगार सिद्ध होगा।
पहले दिन 19 जुलाई को उद्घाटन सत्र में मिलेट्स मैन ऑफ इंडिया पद्मश्री खादर वल्ली, उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही, राज्यसभा के पूर्व सासंद आर.के.सिन्हा, पद्मश्री रामबहादुर राय, आध्यात्मिक गुरु प्रो. पवन सिन्हा, संत ज्ञानेश्वरी दीदी, एनडीयू के वीसी व स्वास्थ्य संसद के सभापति डॉ. बिजेन्द्र सिंह, वरिष्ठ पत्रकार व स्वास्थ्य संसद उपसभापति प्रो. (डॉ.) उपेन्द्र अयोध्या, स्वस्थ भारत के चेयरमैन आशुतोष कुमार सिंह सहित तमाम बड़े स्वास्थ्य चितंक, चिकित्सक व पत्रकार रहेंगे। उद्घाटन पूर्व विशेष सत्र में भारत में बुजुर्गों की सेहत, मनोविज्ञान एवं समाधान विषय पर चर्चा की जाएगी।
पहले दिन शाम में संगीतमय राम संध्या का आयोजन किया जा रहा है जिसमें बॉलीवुड गायक व संगीतक सरोज सुमन, क्लासिकल गायक, सुमीता दत्ता, फिल्म अभिनेता एवं गायक अमरेन्द्र शर्मा व लोक गायक राकेश श्रीवास्तव जहां अपनी गायकी से मन मोहेंगे वहीं कत्थक नृत्यांगना दुर्गेश्वरी सिंह अपनी नृत्य प्रस्तुति देंगी।
दूसरे दिन 20 जुलाई को 6 नीतिगत सत्र होंगे। जिसमें पद्मश्री खादर वल्ली, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, नई दिल्ली के डीन डॉ. महेश व्यास, रुमोटोलॉजी विभाग, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली की विभागाध्यक्ष डॉ. उमा कुमार, आरोग्य भारती के संगठन सचिव डॉ. अशोक कुमार वार्ष्णेय, प्रसिद्ध विज्ञान संचारक डॉ. मनोज कुमार पटैरिया, राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के राष्ट्रीय महासचिव गोलोक बिहारी राय, प्रसिद्ध कृषक डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी, रामायण केन्द्र भोपाल के निदेशक डॉ. राजेश श्रीवास्तव एवं आचार्य नरेन्द्र देव विश्वविद्यालय के अध्येताओं सहित तमाम बुद्धिजीवियों का व्याख्यान होगा। साथ ही एआई के दौर में भारतीय स्वास्थ्य इकोसिस्टम, स्वस्थ भारत के निर्माण में आयुष की भूमिका, स्वास्थ्य जागरूकता में मीडिया की भूमिका और स्वस्थ खेती स्वस्थ आहार, पोषण का आधार संबंधित विषयों पर विषय विशेषज्ञों का व्याख्यान होगा।
दूसरे दिन शाम में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन है जिसमें प्रसिद्ध हास्य कवि सर्वेश अस्थाना, कर हर मैदान फतह गीत लिखने वाले बॉलीवुड के जाने माने कवि-गीतकार शेखर अस्तित्व, वरिष्ठ कवि आलोक अविरल, अमित त्यागी, डॉ. अल्का अग्रवाल सिग्तिया, संतोष कुमार झा, भूमिका जैन, डॉ. वागीश सारस्वत, निखिल आनंद गिरी, डॉ. राजेश कुमार ‘मांझी’ सहित देश के जाने-माने कवियों की महफिल जमेगी।
तीसरे दिन 21 जुलाई को नीतिगत सत्र में स्वस्थ भारत विकसित भारत के निर्माण में जनऔषधि, पोषण एवं आयुष्मान भारत की भूमिका पर विमर्श होगा। इसमें जनऔषधि परियोजना के पूर्व सीइओ व अपर आयुक्त जीएसटी सचिन कुमार सिंह, भारतीय विश्वविद्यालय संघ,नई दिल्ली के संयुक्त सचिव व वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ. आलोक मिश्र जी एवं सम्मान सत्र में पूर्व केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास व कृषि कल्याण राज्यमंत्री कृष्णा राज जी की विशिष्ट उपस्थिति रहेगी। स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को सुशीला नायर स्वस्थ भारत उत्कृष्टता सम्मान, स्वस्थ भारत उत्कृष्टता सम्मान (विशेष रेखांकन), जेनरिक दवा बनाने वाली उत्कृष्ट कंपनी को स्वस्थ भारत उत्कृष्ट जेनरिक दवा निर्माता सम्मान, जनऔषधि केन्द्र संचालकों को स्वस्थ भारत जनऔषधि मित्र सम्मान, स्वस्थ भारत के साथ काम कर रहे पुराने साथी व संभावित साथियों को स्वस्थ भारत सारथी सम्मान, व समाज के विविध क्षेत्र में अपने कार्यों से स्वस्थ समाज बनाने की दिशा में प्रयासरत नारी शक्ति को स्वस्थ भारत नारी शक्ति समान प्रदान किया जाएगा।।
कार्यक्रम में अब तक पदमश्री राम बहादुर राय, पूर्व केन्द्रीय मंत्री कृष्णाराज, पदमश्री मिलेट्समैन डॉ खादरवली, पूर्व राज्यसभा सांसद आर के सिन्हा, उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, भारत सरकार में संयुक्त सचिव आलोक मिश्रा, आरोग्य भारती के संगठन सचिव डॉ. अशोक कुमार वार्ष्णेय, आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बिजेन्द्र सिंह, जागरण इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड मास कम्यूनिकेशन के निदेशक डॉ.उपेन्द्र पांडेय, वरिष्ट पत्रकार उमेश चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकार व आइएफटीएम यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता विभाग के प्रमुख डॉ. राजेश कुमार शुक्ल, सिम्पैथी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी के निदेशक डॉ. आर.कांत, प्रसिद्ध होमियोपैथिक चिकित्सक डॉ. पंकज अग्रवाल, वरिष्ट स्त्रि रोग विशेषज्ञ डॉ. ममता ठाकुर, वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. मनीष कुमार, जेनरल कैंसर एड सोसायटी के निदेशक ए.के.सिंह, नैपकैम के सचिव डॉ. पीयूष गुप्ता, कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ.अखिलेश गुमास्ता, एनसीआर में कमिशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट के चेयरमैन डॉ.एन.पी शुक्ला, अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा) के राष्ट्रीय संयोजक व भारत सरकार की संस्था सुगंधीय पौध उत्पादन संगठन के मेंबर सेक्रेटरी डॉ राजाराम त्रिपाठी, यूपी वन विभाग के पूर्व वन संरक्षक विनय कृष्ण मिश्र, सेंट्रल हर्बल फ़ेडरेशन चैंफ के यूपी चीफ चंद्रशेखर मिश्र, एटमबर्ग टेक्नोलॉजी के जीपीएम तुषार बॉथम व और मैनेजमेंट स्ट्रैटेजी एसोसिएट भरत श्रेष्ठ, लखनऊ प्रेस क्लब के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री रामकृष्ण वाजपेयी व श्री शैलेंद्र मौनर्य, व अवध क्षेत्र के अग्रणी किसान नरेंद्र मिश्र आयोजन के विशिष्ट विशेषज्ञों में शुमार हैं।
‘हरित क्रांति’ ने उत्पादन तो कई-कई गुना बढाया, लेकिन हमारे भोजन से पौष्टिकता गायब कर दी। अब तक हमारा देश खाद्य-सुरक्षा के लिए गेहूँ और धान पर ही निर्भर रहा है, किन्तु अब इसे एक नया मोड़ देने का समय आ गया है।
अब यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि जिस भोजन का सेवन हम कर रहे हैं, वह हमारी सेहत के लिए खराब है। इसमें पौष्टिकता नहीं है और न इसके गुण अच्छे हैं। सबसे अहम बात कि अब ये भी स्पष्ट होता जा रहा है कि हमारे भोजन में ये बदलाव यानी घर में बने पौष्टिक आहार, रसोई की परम्परा और सदियों पुरानी पद्धति से मुंह मोड़ लेना आकस्मिक या अप्रत्याशित बिल्कुल भी नहीं है। च्छा भोजन प्रकृति और पोषण को जीविका से जोड़ता है। यह भोजन हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, हमारी वासस्थान की समृद्ध जैवविविधता से आता है और लोगों को रोजगार देता है। सबसे जरूरी बात यह कि परंपरागत भोजन पकाना व खाना दोनों हमें उल्लास से भर देता है। साथ ही साथ इससे स्वास्थ्य भी बढ़िया रहता है।
वास्तव में अलग-अलग क्षेत्रों के मोटे और अधिक पौष्टिक अनाज इसमें शामिल होने चाहिए। इस दृष्टि से यह आयोजन काफी महत्वपूर्ण होगा।