जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है

 

 

दीपा मिश्रा

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की यह पंक्ति न केवल उनके काव्य की गहराई को दर्शाती है, बल्कि मानव जीवन के एक अत्यंत महत्वपूर्ण सत्य को भी उजागर करती है । ये शब्द जैसे ही हमारे मन में उतरते हैं, हमें सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि आखिर विवेक क्या है, और इसका नाश से क्या संबंध है ।

#विवेक: “मानव का सबसे बड़ा धन है”
विवेक को हम मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति कह सकते हैं। यह वह गुण है जो हमें सही और गलत के बीच अंतर करना सिखाता है । विवेक ही वह आंतरिक आवाज है जो हमें नैतिक निर्णय लेने में मदद करती है । जब हम विवेक की बात करते हैं, तो हम एक ऐसी शक्ति की बात कर रहे होते हैं जो हमें अपने विचारों, कर्मों और निर्णयों को परखने का मापदंड देती है ।

#नाश #और #विवेक #का #संबंध
दिनकर जी की इस पंक्ति में “नाश” शब्द बहुत महत्वपूर्ण है। #नाश का अर्थ है.. #विनाश, #पतन, या #अवनति । जब मनुष्य पर नाश का संकट छाता है, तो सबसे पहले उसका विवेक मर जाता है । इसका अर्थ है कि जब व्यक्ति नैतिक और चारित्रिक रूप से गिरने लगता है, तो उसकी सबसे बड़ी हानि यही होती है कि वह अपने विवेक को खो देता है ।

# विवेक #के मरने #का #क्या #अर्थ है.?
विवेक के मरने का मतलब है कि व्यक्ति में सही-गलत की पहचान करने की क्षमता समाप्त हो जाती है । जब विवेक मर जाता है:
– व्यक्ति अपने कार्यों के परिणामों को नहीं सोच पाता ।
– वह अपने स्वार्थ में अंधा हो जाता है ।
– नैतिकता और मानवीय मूल्यों की अवहेलना होने लगती है ।
– व्यक्ति का आचरण अविवेकपूर्ण और हानिकारक हो जाता है ।
– उसके निर्णय आत्मघाती साबित होते हैं ।

कवि श्रेष्ठ #दिनकर जी के इस कथन की प्रासंगिकता …
यह पंक्ति आज के समय में और भी प्रासंगिक हो जाती है । हम देखते हैं कि कैसे समाज में कई बार लोग अपने स्वार्थ, लोभ, या मोह में विवेक को भूल जाते हैं जो सर्वथा अनुचित है। जब व्यक्ति का विवेक मर जाता है, तो वह न केवल खुद का बल्कि अपने आसपास के लोगों और समाज का भी नुकसान करता है ।

#विवेक की महत्ता के उदाहरणार्थ..
1. महाभारत का कथा-संदर्भ: महाभारत में कौरवों का पतन विवेकहीनता का एक बड़ा उदाहरण है । गांधारी के पुत्र दुर्योधन का अंधा लोभ और अन्याय ने पूरे कुल का नाश कर दिया।
2. रावण का पतन: रामायण में रावण का उदाहरण भी विवेक के अभाव का परिणाम दिखाता है । उसका अति आत्मविश्वास और अविवेकपूर्ण निर्णय उसके विनाश का कारण बना ।
3. आधुनिक जीवन: आज भी हम देखते हैं कि कैसे राजनीतिक, सामाजिक, और आर्थिक क्षेत्रों में विवेकहीनता बड़े संकटों को जन्म देती है ।

#विवेक को जीवित रखने के कुछ उपाय …
आत्मचिंतन: अपने विचारों और कार्यों पर नियमित रूप से चिंतन करना चाहिए ।
नैतिक शिक्षा: जीवन में नैतिक मूल्यों की शिक्षा और उनका पालन अत्यंत आवश्यक है।
संस्कार: अच्छे संस्कार और परंपराएं विवेक को पोषित करती हैं ।
संयम: अपने वाणी और कर्मों में संयम रखना विवेक का प्रतीक है ।
सहानुभूति और करुणा: परस्पर एक दूसरे के प्रति सहानुभूति और करुणा विवेक को मजबूत बनाती है ।

# दिनकर जी की #काव्य-दृष्टि का गहन अध्ययन से ज्ञात होता है कि, वे एक ऐसे कवि थे जिन्होंने अपने काव्य में जीवन के गहन सत्य को उजागर किया । उनकी रचनाओं में उर्वशी, रश्मिरथी, और परशुराम की प्रतीक्षा जैसी प्रसिद्ध कृतियाँ हैं । दिनकर जी की कविता में राष्ट्रप्रेम, मानवता, और जीवन के गहन पहलुओं का अद्भुत समागम है

निष्कर्ष..
रामधारी सिंह दिनकर की यह पंक्ति “जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है” के संदर्भ में मैं कहना चाहूंगी कि कि यह पंक्ति”हमें विवेक के महत्व को समझने और इसे अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा देती है । विवेक ही वह शक्ति है जो हमें सही मार्ग पर चलने और जीवन को सार्थक बनाने में मदद करती है। दिनकर जी की कविताएं हमें जीवन के गहन सत्य को समझने और उस पर चिंतन करने का अवसर प्रदान करती है।दिनकर जी की रचनाएँ हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहराई से सोचने के लिए प्रेरित करती हैं और उनके काव्य का अध्ययन हमें समृद्ध बनाता है।

 

दीपा मिश्रा
अयोध्या उत्तर प्रदेश

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