साहित्य

व्यक्तित्व

भाषाई संस्कारों के कोश थे साहित्यकार त्रिलोचन

  ■ डॉ. सम्राट् सुधा मेरा यह सौभाग्य रहा कि प्रगतिवादी काव्य के स्तंभ-कवि त्रिलोचन से मैं जीवन में तीन बार मिल सका। इनमें 28 अक्टूबर, 2001 की भेंट तो नितान्त औपचारिक ही थी, जब रुड़की की एक संस्था के निवेदन पर मैं उन्हें लेने ज्वालापुर ( हरिद्वार ) गया था। फिर ,जून 2005 से […]

Read More
साहित्य

स्वतंत्रता आंदोलन में साहित्य की भूमिका

  हमारा देश भारत अंग्रेजों के अधीन लगभग 300 वर्षों तक रहा ।अंग्रेजों से आक्रांत होकर भारतीय वीर महापुरुषों ने भारत माता की स्वाधीनता के लिए सर्वस्व न्योछावर कर दिया। जिसका जीता जागता उदाहरण 15 अगस्त, 1947 को भारत की स्वतंत्रता तथा 26 जनवरी, 1950 को गणतंत्र राष्ट्र घोषित किया गया ,जो हमारे लिए गर्व […]

Read More
कविता

शांति शिरोमणि तुलसीदास

  भारतीय साहित्य गगन के चन्द्र काव्य जगत के आप हैं हास। वंदनीय हे शांति शिरोमणि नमो भक्त कवि तुलसीदास । बांदा जिला ग्राम राजापुर आपसे हुआ समुन्नत भाल। मां हुलसी के पुत्र महाकवि आत्माराम पिता के लाल। भारत के अभिमान जगत के आप हैं कवि उज्ज्वल आदर्श। नत मस्तक हो विश्व कह रहा धन्य […]

Read More
कविता

शिव स्तुति

  शिव की महिमा का है चमत्कार। उन्होंने बनाया बहुत बड़ा संसार। ये हैं अग्रगण्य त्रिपुरारी। ये तांडव नृत्य करते हैं भयहारी। इनकी डमरू बोलती डम_डम_डम। इनके भक्त नाचते छम_छम_छम। भोला खाते भांग _धतूरा। ये कल्याण करते पूरा_पूरा। इनको भाते हैं अकोन, कनेर, धतूरा के फूल। जो उनकी पूजा के लिए है मूल। औढरदानी का […]

Read More
व्यक्तित्व

तुलसीदास : रामकथा के जनसुलभ प्रस्तोता

      * डॉ. सम्राट् सुधा   किंवदंतियों के अनुसार, बारह महीने तक माता के गर्भ में रहने वाले तुलसी ने जन्म लेते ही राम-नाम का उच्चारण किया था। रामकथा को बनाया जनसुलभ ————– प्रभु श्रीराम की कथा को जन-सुलभ बनाने के लिए तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की। इसके माध्यम से उन्होंने संपूर्ण […]

Read More
पुस्तक समीक्षा

रोही की रोजड़ी : राजस्थान की माटी से एक प्रेरक संस्मरण संग्रह

पुस्तक समीक्षा   मनुष्य के सूक्ष्म मनोविज्ञान ,राजस्थान की सुगंध और किसी भी व्यक्ति की विविध परिस्थितियों को लिए हिन्दी संस्मरण विधा का एक मर्मस्पर्शी संग्रह ‘रोही की रोजड़ी’ जून,2025 में प्रकाशित हुआ है। लेखिका हैं संतोषी। एक कौतूहल हैं ‘रोही’ और ‘रोजड़ी’ ! ये हिन्दी विशेष के पाठकों के लिए अपरिचित शब्द हैं। समीक्षक […]

Read More
व्यक्तित्व

पंडित गौरीदत्त (1836 – 8 फ़रवरी 1906)

पंडित गौरीदत्त का जन्म पंजाब प्रदेश के लुधियाना नामक नगर में सन् 1836 में हुआ था। आपके पिता पंडित नाथू मिश्र प्रसिद्ध तांत्रिक और सारस्वत ब्राह्मण थे। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा साधारण ही हुई थी। केवल पंडिताई का कार्य करने तक ही वह सीमित थी। जब आपकी आयु केवल 5 वर्ष की ही थी तब आपके […]

Read More
कहानी

देवरानी जेठानी की कहानी  : पंडित गौरीदत्त (हिंदी उपन्यास)

(हिन्‍दी का पहला उपन्‍यास ‘देवरानी जेठानी की कहानी’ (1870) है अथवा ‘परीक्षागुरु’ (1882), इस पर विद्वानों में मतभेद है। जहॉं डॉ नगेन्‍द्र और डॉ निर्मला जैन सरीखे विद्वानों ने लाला श्रीनिवासदास के परीक्षागुरु को हिन्‍दी का पहला मौलिक उपन्‍यास माना है, वहीं डॉ गोपाल राय व डॉ पुष्‍पपाल सिंह आदि ने पं गौरीदत्‍त रचित देवरानी […]

Read More
व्यक्तित्व

प्रकाशवीर शास्त्री

प्रकाशवीर शास्त्री (30 दिसम्बर 1923 – 23 नवम्बर 1977) भारतीय संसद के सदस्य तथा आर्यसमाज के नेता थे। उनका मूल नाम ‘ओमप्रकाश त्यागी’ था। वे एक प्रखर वक्ता थे। उनके भाषणों में तर्क बहुत शक्तिशाली होते थे। उनका भाषण सुनने के लिये लोग दूर-दूर से पैदल चलकर आ जाते थे। उनके विरोधी भी उनके प्रशंसक […]

Read More
कविता

गुरु -शिष्य

  गुरु होते हैं मार्गदर्शक शिष्यों के लिए आकर्षक। गुरु देते शिष्यों को शिक्षा शिष्य भी करते गुरु की रक्षा। गुरु _शिष्य के रिश्ते हैं अनमोल इनके होते हैं सुन्दर बोल। दोनों होते हैं महत्वपूर्ण ये दोनों होते हैं पूर्ण। गुरु_शिष्य करते भारत का कल्याण जिससे भारतवर्ष बना रहेगा महान। गुरु का होता यशोगान शिष्य […]

Read More