साहित्य

मौन
- editor
- April 1, 2023
अमन कुमार बूढ़ा मोहन अब स्वयं को परेशान अनुभव कर रहा था। अपने परिवार की जिम्मेदारी उठाना अब उसके लिए भारी पड़ रहा था। परिवार के अन्य कमाऊ सदस्य अपने मुखिया मोहन की अवहेलना करने लगे थे। मोहन की विधवा भाभी परिवार के सदस्यों की लगाम अपने हाथों में थामे थी। वह बड़ी चालाक थी। […]
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वैशाली
- editor
- April 1, 2023
अर्चना राज़ तुम अर्चना ही हो न ? ये सवाल कोई मुझसे पूछ रहा था जब मै अपने ही शहर में कपडो की एक दूकान में कपडे ले रही थी, मै चौंक उठी थी ….आमतौर पर कोई मुझे इस बेबाकी से इस शहर में नहीं बुलाता क्योंकि एक लंबा अरसा गुजारने के बाद […]
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कोख़ में हत्या
- editor
- April 1, 2023
अमन कुमार त्यागी सुधा को मुहल्ले भर के सभी बच्चे, जवान और बूढ़े जानते थे। सभी सुधा से बेहद लगाव रखते। सुधा भी तो सभी के दुःख दर्द में शरीक़ होती। वह कहती -दुःख बाँटना आत्मसंतुष्टि का परिचायक है।’ सौम्य, सुंदर, सुशील सुधा ने भले ही मायके में अमीरी के दिन देखे हों मगर ससुराल […]
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बापू के आह्वान पर आजादी की लड़ाई में कूदे शुभकरण चूड़ीवाला
- editor
- March 29, 2023
कुमार कृष्णन बीते सदी के दूसरे दशक की शुरूआत में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी स्वतंत्रता आंदोलन के केंद्र में आ गये थे और इससे उन्होंने आम लोगों से जोड़ा। यह वह दौर था, जब 21 मार्च 1919 को रोलेट एक्ट लागू किया गया, इसमें न अपील न दलील और न वकील की व्यवस्था थी। महात्मा […]
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साहित्यकार ऋषभ के व्यक्तित्व और कृतित्व का समग्र आकलन
- editor
- March 26, 2023
डॉ. सुषमा देवी नजीबाबाद (उत्तर प्रदेश) से प्रकाशित त्रैमासिक शोध पत्रिका ‘शोधादर्श’ द्वारा हिंदी भाषा-साहित्य के चर्चित हस्ताक्षर प्रोफेसर ऋषभदेव शर्मा के रचना संसार पर आधारित विशेषांक ‘प्रेम बना रहे’ को पाँच खंडों में विभाजित करते हुए प्रकाशित किया गया है। प्रथम खंड ‘आखिन की देखी’ में प्रो. ऋषभदेव शर्मा के सान्निध्य में […]
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‘शोधादर्श’ का विशेषांक : प्रेम बना रहे
- editor
- March 26, 2023
✍️समीक्षक : डॉ. चंदन कुमारी गन्ने के गाँव खतौली से मोतियों के शहर हैदराबाद तक की संघर्ष और कामयाबी भरी अपनी यात्रा के विविध पड़ावों में जन-जन से संपर्क सूत्र साधते; सहज गति से अविराम मनःस्थिति के साथ निरंतर साहित्य सृजन में लीन और संगोष्ठियों में सदैव तत्पर रहनेवाले प्रो. ऋषभदेव शर्मा (1957) […]
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तुलसी, राम और रामायण का नाता
- editor
- December 26, 2022
*पुस्तक समीक्षा : डॉ. चंदन कुमारी* साहित्य, समाज और संस्कृति में रामकथा अनेकानेक रूप में विद्यमान है। जैसे हंस में नीर-क्षीर विवेक होता है वैसे ही हर प्राणी के मन में नीर-क्षीर की परिकल्पना तो होती है, पर उनमें यह परिकल्पना मत वैभिन्न्य के साथ होती है। जिसे जो भाता है उसे ही वह चुनता […]
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एक बेगम की जिन्दगी का सच
- editor
- September 23, 2022
जिसमें इतिहास की गरिमा और साहित्य की रवानी है अनिल अविश्रांत कहा जाता है कि कुछ सच कल्पनाओं से भी अधिक अविश्वसनीय होते हैं। ‘बेगम समरू का सच’ कुछ ऐसा ही सच है। एक नर्तकी फरजाना से बेगम समरू बनने तक की यह यात्रा न केवल एक बेहद साधारण लड़की की कहानी है बल्कि एक ऐसे युग से गुजरना है जिसे इतिहासकारों ने […]
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मन समर्पित, तन समर्पित
- editor
- September 23, 2022
मन समर्पित, तन समर्पित, और यह जीवन समर्पित। चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ। माँ तुम्हारा ऋण बहुत है, मैं अकिंचन, किंतु इतना कर रहा, फिर भी निवेदन- थाल में लाऊँ सजाकर भाल मैं जब भी, कर दया स्वीकार लेना यह समर्पण। गान अर्पित, प्राण अर्पित, रक्त का कण-कण समर्पित। चाहता […]
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कड़वे यथार्थ की चित्रकारी…
- editor
- September 23, 2022
भारतीय साहित्य में व्यंग्य लेखन की परंपरा बहुत समृद्ध रही है। ऐसा माना जाता है कि यह कबीरदास, बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमधन’, प्रतापनारायण मिश्र से आरंभ हुई, कालान्तर में शरद जोशी, श्रीलाल शुक्ल, हरिशंकर परसाई, रवीन्द्रनाथ त्यागी, लतीफ घोंघी, बेढब बनारसी के धारदार व्यंग्य-लेखन से संपन्न होती हुई यह परंपरा वर्तमान समय में ज्ञान चतुर्वेदी, सूर्यकुमार […]
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