विनोबा, राजेंद्र प्रसाद एवं शास्त्री जी की ईमानदारी पर उठ रहे सवाल: कहां तक जायज?

 

 


निमिषा सिंह
चंद दिनों पहले गांधी शांति प्रतिष्ठान दिल्ली में वरिष्ठ गांधीवादी राजगोपाल जी द्वारा कहा गया एक वक्तव्य आज यथार्थ होता दिख रहा है “मौजूदा समय में सामाजिक काम करने वाले लोगों को देशद्रोही घोषित किया जा रहा है। हम सब अपनी जगह ढूंढ रहे हैं कि काम कैसे होगा? उसको तलाशने में लगे हैं”
निसंदेह ऐसी मानसिकता जिन्हें गांधी के विचारों से चिढ़ रही है जब भी मौका मिलता है वो चूकते नहीं। फिर चाहे वो गांधी के नाम की योजनाएं, उनकी स्मृतियों को खत्म करने की कोशिश हो। स्वच्छता अभियान से गांधी के चित्र को हटाकर सिर्फ उनके चश्मे का प्रयोग हो। खादी ग्रामोद्योग से उनके चित्र को हटाना हो या फिर जलियांवाला बाग और साबरमती आश्रम के प्रेरणा स्थल के स्वरूप को बदलकर पर्यटन स्थल बना देना हो। एक वाक्य में कहा जाए तो “गांधी को जड़ से खत्म करने की कोशिश”। ऐसा ही एक निंदनीय प्रयास बनारस में भी हो रहा है। प्रशासन द्वारा सर्वसेवा संघ एवं गांधी विद्या संस्थान को साजिश के तहत हड़पने और कब्जे की पुरजोर कोशिश की जा रही है।
पूर्व में वाराणसी के कमिश्नर द्वारा 15 मई 2023 को जयप्रकाश नारायण जी द्वारा स्थापित गांधी विद्या संस्थान पर बलपूर्वक कब्जा कर लिया और दिल्ली की संस्था इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र को सौंप दिया गया। इससे पहले 2 दिसंबर 2020 को राजघाट परिसर के नजदीक सर्वसेवा संघ की जमीन पर काशी कॉरिडोर बनाने के नाम पर अवैध तरीके से कब्जा कर सर्वसेवा संघ एवं गांधीवादी संगठनों के वजूद को खत्म करने की कोशिशें की गईं।
ज्ञात हो कि अडानी ग्रुप के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत काशी स्टेशन को मल्टी मॉडल स्टेशन बनाने की योजना है जिसके लिए सरकार को जमीन चाहिए और इसलिए प्रशासन के माध्यम से सर्वसेवा संघ, वसंता कॉलेज, कृष्णमूर्ति फाउंडेशन और किला कोहना की जमीन को कब्जाने की कवायद जारी है।
साठ के दशक में सर्वसेवा संघ ने रेलवे से यह जमीन खरीदी है। इस जमीन की बिक्री राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जी और लाल बहादुर शास्त्री जी की सदिच्छा से हुई है। डिविजनल इंजीनियर नॉर्दन रेलवे लखनऊ द्वारा हस्ताक्षरित तीन सेल डीड सर्वसेवा संघ के पास है। रकम सरकार के खजाने में जमा हुई है। तिरसठ साल बाद इस रजिस्ट्री कागज को जाली बताने का मतलब है कि आचार्य विनोबा भावे को जाली बताना। या यूं कहें कि मौजूदा बीजेपी सरकार राष्ट्रपति राजेंद्र बाबू , पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री और बाबू जगजीवन राम को जाली कागज बनाने वाला बता रही है।
गाँधी दर्शन की बुनियाद पर खड़ा अखिल भारतीय सर्वसेवा संघ सर्वजन हित, समरसता , स्वावलंबी विचार , सत्य और अहिंसा के प्रचार प्रसार को अपना ध्येय बना कर 1948 से काम कर रहा है। बापू की हत्या के बाद 1948 में राजेन्द्र बाबू , नेहरू जी और विनोबा भावे जैसे राष्ट्रनायकों ने गाँधी विचार को लाखों गांवों तक ले जाने के लिए सर्व सेवा संघ की स्थापना की थी। इसका केंद्रीय कार्यालय वर्धा महाराष्ट्र में है। पूरे देश में इसकी अनेक शाखाएं हैं। 1960 में आचार्य विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण के संरक्षण में बनारस में राजघाट पुल के पास इसकी स्थापना हुई थी।
ऐसे समय में जब विश्व के ज्यादातर देश यह मान चुके हैं कि शांति के लिए गांधी ही एक मात्र रास्ता है। बावजूद इसके आगामी पीढ़ी के जहन में महात्मा गांधी की शिक्षा को आत्मसात करने की कोशिश में जुटी बनारस के सर्वसेवा संघ राजघाट के ऐतिहासिक स्थल पर अवैध होने की सूचना देता हुआ ध्वस्तीकरण का एक नोटिस चस्पा कर दिया गया है।
नोटिस में कहा गया है कि कुछ एकड़ो में फैली ये जमीन रेलवे की है जिस पर सर्वसेवा संघ द्वारा जबरन अवैध कब्जा किया गया है। तत्काल स्थान खाली करें अन्यथा ध्वस्तीकरण की कार्यवाही की जाएगी।
सोचने की बात है कि बनारस में सर्व सेवा संघ बनाने वालों में एक नाम विनोबा भावे का भी है। विनोबा ने भूदान आंदोलन के तहत 48 लाख एकड़ जमीन पूरे देश मे घूम घूमकर दान में इकट्ठा की और गरीब भूमिहीन लोगों में वितरित किया। लाखों एकड़ जमीन दान में देने वाले व्यक्ति के ऊपर जमीन कब्जा करने का आरोप लगा रही है मौजूदा बीजेपी सरकार।
रेलवे और सर्व सेवा सँघ का आपस मे गहरा नाता रहा है। भारत के हर रेलवे स्टेशन पर सर्वोदय प्रकाशन के बुक स्टॉल हैं। आज भी रेलवे टाइम टेबल के किताबो में कन्सेशन नियम कें पन्ने पर सर्व सेवा संघ के सर्वोदय समाज सम्मेलन के लिए रेल भाड़े में कन्सेशन के नियम लिखे हुए है। हालात यह है कि आज सरकार के दबाव में रेलवे ध्वस्तीकरण की नोटिस चिपका रहा है।
कोई संदेह नहीं कि पूंजीपतियों के फायदे को ध्यान मे यह सब किया जा रहा है। अकेले बनारस का उदाहरण देखें तो इसी महीने में ट्रांसपोर्ट नगर नाम से बनारस पश्चिम में मोहनसराय में बैरवन गाँव में जमीन लेने के लिए वाराणसी पुलिस ने किसानों की बर्बर पिटाई की है। न्यायालय का दखल न होता तो बिचारे गरीब ग्रामीण भूमिहीन होकर दर दर की ठोकर खा रहे होते। बनारस पूर्वी किनारे पर रामनगर में जल परिवहन का काम हो रहा है। फ्रेट विलेज के लिए खूब सारी जमीन अधिग्रहित की जा रही है। स्ट्रीट वेंडरों को उजाड़ा जा रहा है। मल्लाहों के पेट पर लात मारकर पूंजीपतियों को मुनाफा देने वाली बड़ी बड़ी क्रूज गंगा में चलाई जा रही हैं।
गाँव में किसानो से जमीन ले लेनी है और पूंजीपतियों को दे देनी है। किसान को मजदूर बना देना है और शहर की ओर भगा देना है। फिर शहर में रिक्शा चलाने ट्रॉली खींचने और ठेला गुमटी लगाकर दो निवाले अगर वो खा ले रहा है तो उसे यंहा से भी विस्थापित करना है। इसे ही वर्तमान राजनीती विकास कहती है। और गाँधी इसी अमानवीय विकास के मॉडल के विरुद्ध थे। सर्व सेवा संघ उसी गाँधी के हिन्द स्वराज मॉडल पर देश को मानवीय, संवेदनशील और दोस्ताना बनाना चाहता है।

इस विषय पर सर्व सेवा संघ के प्रकाशन समिति के संयोजक अरबिंद अंजुम ने पूरी जानकारी देते हुए बताया कि 27 सितंबर को बनारस के डीएम के आदेश के 1 घंटे बाद ही यह नोटिस सर्व सेवा संघ के प्रांगण में सभी भवनों पर रेलवे विभाग द्वारा चस्पा कर दिया गया था। जिसके विरोध में सर्व सेवा संघ ने 28 तारीख को इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इलाहाबाद हाई कोर्ट में 30 जून को याचिका की सुनवाई हुई जिसमे अगली सुनवाई के लिए 3 जुलाई का डेट मिला साथ ही फिलहाल कार्यवाही को स्थगित कर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया गया है।

सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल ने देश भर के लोगों से अपील की है कि जो जहां भी है अपने स्तर पर शांतिपूर्वक प्रतिरोध करें ,प्रतिवाद करें। अपने राज्य में राज्यपाल को लिखित रूप से इस विषय में ज्ञापन सौंपे। साथ ही उन्होंने देश भर के गांधीवादी संगठनों से भी अपील करते हुए कहा कि अब समय आ गया है सभी एक स्वर से इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं।
30 जून को भारी वर्षा के वाबजूद इस घटनाक्रम के विरोध में गांधीवादी संगठनों से जुड़े लोग, छात्र, युवा, किसान सभी सड़क पर उतर गए।
उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़, उड़ीसा और अन्य जगहों एवं संगठनों से करीब 300-400 की संख्या में गांधीजन बनारस पहुंचे।
सर्व सेवा संघ में धरना और उपवास का कार्यक्रम शुरू हो चुका है। गंगा के प्रवाह में शपथ ली गई साथ ही मानवशृंखला का निर्माण कर आंदोलन को और मजबूती प्रदान करने की कोशिश जारी है।
संयुंक्त किसान आंदोलन द्वारा भी समर्थन मिल रहा है। सत्याग्रह में सर्व सेवा संघ और गांधी स्मारक निधि के अलावा विभिन्न संगठनों एवं कांग्रेस, समाजवादी दल, आम आदमी पार्टी और स्वराज्य दल के लोग भी शामिल हुए। सत्याग्रह में शामिल प्रमुख लोगों में प्रो आनंद कुमार, राज्यसभा सांसद अनिल हेगड़े, पूर्व सांसद राजेश मिश्र, विधायक अजय राय, सपा के पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह पटेल, संजीव सिंह, विश्व विजय, राघवेंद्र चौबे, राजन पाठक , प्रभु नारायण जी, विनय राय, लोकतंत्र सेनानी सतनाम सिंह, विजय नारायण, सुरेश सिंह, अरविंद सिंह पूर्व एमएलसी, प्रकाश चंद श्रीवास्तव, डॉ अनूप श्रमिक, बल्लभ भाई, महेंद्र राठौर, उषा विश्वकर्मा, रंजू, पूनम, आलोक सिंह, अजय पटेल, जयंत भाई, धनंजय त्रिपाठी आदि के अलावा सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल, सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठान की अध्यक्ष आशा बोथरा , लाल बहादुर राय, विश्वजीत जी सहित सर्व सेवा संघ , गांधी निधि के लोग शामिल हुए ।
बिहार से विनोद रंजन, शाहिद कमाल, पंकज बेतिया, विजय भाई, मनोहर मानव, मध्य प्रदेश से संतोष द्विवेदी, सत्येंद्र सिंह, श्याम नारायण, चंद्रप्रकाश, गाजीपुर से ओमप्रकाश, ईश्वरचंद, प्रभुनाथ, दिग्विजय सिंह, फरीद भाई समेत सैकड़ों लोग शामिल हुए। सर्व सेवा संघ से जुड़े धीरज भाई ,नंदलाल मास्टर और जागृति राही इस सत्याग्रह में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रही है । जागृति राही ने बताया कि उन्होंने काफी पहले ही आने वाले इस संकट को भांप लिया था और गांधीवादियों को सचेत भी किया था।

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