मन समर्पित, तन समर्पित

मन समर्पित, तन समर्पित,
और यह जीवन समर्पित।
चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ।

माँ तुम्‍हारा ऋण बहुत है, मैं अकिंचन,
किंतु इतना कर रहा, फिर भी निवेदन-
थाल में लाऊँ सजाकर भाल मैं जब भी,
कर दया स्‍वीकार लेना यह समर्पण।

गान अर्पित, प्राण अर्पित,
रक्‍त का कण-कण समर्पित।
चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ।

माँज दो तलवार को, लाओ न देरी,
बाँध दो कसकर, कमर पर ढाल मेरी,
भाल पर मल दो, चरण की धूल थोड़ी,
शीश पर आशीष की छाया धनेरी।

स्‍वप्‍न अर्पित, प्रश्‍न अर्पित,
आयु का क्षण-क्षण समर्पित।
चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ।

तोड़ता हूँ मोह का बंधन, क्षमा दो,
गाँव मेरी, द्वार-घर मेरी, ऑंगन, क्षमा दो,
आज सीधे हाथ में तलवार दे-दो,
और बाऍं हाथ में ध्‍वज को थमा दो।

सुमन अर्पित, चमन अर्पित,
नीड़ का तृण-तृण समर्पित।
चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ।

-रामावतार त्यागी

One thought on “मन समर्पित, तन समर्पित”

  1. Wow, superb blog layout! How long have you ever been running a blog for?
    you make running a blog glance easy. The whole look of your site is
    wonderful, as well as the content! You can see similar here sklep online

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

साहित्य

भागलपुर ने दी राष्ट्रकवि दिनकर को ख्याति

कुमार कृष्णन भागलपुर से ही राष्टकवि रामधारी सिंह दिनकर को ख्याति मिली। इसे उन्होंने स्वयं स्वीकार किया है। उनके मुताबिक- ” 1933 में सुप्रसिद्ध इतिहासकार काशी प्रसाद जायसवाल नें भागलपुर में बिहार प्रादेशिक हिन्दी साहित्य सम्मेलन का सभापतित्व किया था।इसके आयोजक थे पं शिवदुलारे मिश्र अपनी कविता ‘हिमालय’ ‘के प्रति’ उपकार मानता हूं। जनता में […]

Read More
कविता

रामधारी सिंह दिनकर

विधा – छन्दमुक्त “””””””””””””””””””” राज्य बिहार जिला मुंगेर, ग्राम सिमरिया में जन्मे । 30 सितम्बर 1908 को, रविसिंह-मनरूप देवी के घर में ।। रामधारी सिंह दिनकर, राष्ट्रकवि दिनकर सदृश थे । गद्य-पद्य में सिद्ध महारथ, पढ़ने को सब लोग विवश थे ।। था ‘विजय सन्देश’ पहला, काव्य संग्रह आपका । आलोचना ‘मिट्टी की ओर’,’शुद्ध कविता […]

Read More
साहित्य

स्वतंत्रता आंदोलन में साहित्य की भूमिका

  हमारा देश भारत अंग्रेजों के अधीन लगभग 300 वर्षों तक रहा ।अंग्रेजों से आक्रांत होकर भारतीय वीर महापुरुषों ने भारत माता की स्वाधीनता के लिए सर्वस्व न्योछावर कर दिया। जिसका जीता जागता उदाहरण 15 अगस्त, 1947 को भारत की स्वतंत्रता तथा 26 जनवरी, 1950 को गणतंत्र राष्ट्र घोषित किया गया ,जो हमारे लिए गर्व […]

Read More