स्वस्थ जीवन के लिए अपने रसोई घर में बाजरा वापस लाएं

 

डिजिटल डेस्क। भारत के मिलेट मैन के रूप में लोकप्रिय खादर वली ने किसानों, कृषि वैज्ञानिकों और नीति निमार्ताओं से मिट्टी, पानी, पर्यावरण और सबसे बढ़कर मानव स्वास्थ्य को बचाने के लिए कृषि में बाजरा को बढ़ावा देने का आह्वान किया। मिलेट मैन डॉ. खादर वली ने कहा, आइए हम बाजरा को अपनी रसोई में वापस लाएं, उन्हें अपने मुख्य आहार का एक अनिवार्य हिस्सा बनाएं और उभरती स्वास्थ्य समस्याओं को अलविदा कहें।

डॉ. वाई.एस. परमार यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री, नौनी, सोलानी में एक दिवसीय कार्यशाला-सह-किसान मेले में मैसूर के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित खाद्य और पोषण विशेषज्ञ, वली ने निवारक स्वास्थ्य में बाजरा की भूमिका पर एक विशेष व्याख्यान दिया -आहार से आरोग्य।

यह कार्यक्रम हिमाचल प्रदेश सरकार की प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना (पीके3वाई) की राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई (एसपीआईयू) द्वारा आयोजित किया गया था। हिमाचल प्रदेश के 200 से अधिक किसानों, जिन्होंने 2018 में पीके3वाई के लॉन्च के बाद गैर-रासायनिक, कम लागत और जलवायु अनुकूल प्राकृतिक खेती को अपनाया है, ने राज्य के पीके3वाइ अधिकारियों, कृषि विभाग के अधिकारियों, कृषि और बागवानी वैज्ञानिकों और छात्रों के साथ इसमें भाग लिया।

सचिव कृषि राकेश कंवर, कुलपति डॉ. वाई.एस. परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, राजेश्वर सिंह चंदेल, राज्य परियोजना निदेशक, पीके3वाई, नरेश ठाकुर, निदेशक, कृषि, बीआर ताखी, और खेती विरासत मिशन से उमेंद्र दत्त और पूनम शर्मा ने भी कार्यशाला में हिस्सा लिया।

इस आयोजन ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स-2023 से पहले हिमाचल प्रदेश में बाजरा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए रुपरेखा तैयार की गई, इसके बाद हिमाचल प्रदेश में बाजरा को बढ़ावा देने के लिए रणनीति तैयार करने के लिए राज्य के कृषि विशेषज्ञों के कार्यकारी समूह की बैठक हुई।

वली ने गेहूं और चावल उगाने और खाने के खिलाफ वकालत की और किसानों से भूल गए अनाज बाजरा की खेती फिर से शुरू करने के लिए कहा। उन्होंने कहा, चावल और गेहूं की फसलों के लिए एक साल में आवश्यक पानी 26-30 वर्षों के लिए बाजरा की पानी की आवश्यकता के बराबर होता है। यह एकमात्र कारण वैज्ञानिकों और किसानों के लिए बाजरा की खेती में स्थानांतरित होने के लिए पर्याप्त है।

उन्होंने कहा कि यह पता है कि, यदि हम मिट्टी को बचाना चाहते हैं और इसकी गिरावट को रोकना चाहते हैं, तो हमें सी 4 घास लगाने की जरूरत है। बाजरा सी 4 पौधे हैं। लेकिन एक तरफ, हम मिट्टी, पर्यावरण और पानी को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, और दूसरी तरफ हम गेहूं और चावल जैसे सी3 पौधों को बढ़ावा दे रहे हैं, जो उन्हें नीचा दिखा रहे हैं और नष्ट कर रहे हैं।

हम बाजरा के बिना जैव विविधता के बारे में कैसे बात कर सकते हैं?, खाद्य और पोषण विशेषज्ञ ने साफ कहा कि, इस मुद्दे को कृषि कॉपोर्रेट खाद्य फैक्टरी संस्कृति द्वारा उपेक्षित किया गया है। वली ने कहा कि चाहे वह ग्लूकोज असंतुलन हो, हार्मोनल असंतुलन हो, रोगाणुओं का असंतुलन हो, समाज द्वारा अपनाए जा रहे आर्थिक मॉडल के कारण मनुष्य प्रत्येक बीतते दिन के साथ विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहा है।

वली ने कहा कि उन्होंने बाजरा पर काम किया है, जिसे वे पंच रत्न कहते हैं, जिसमें फॉक्सटेल बाजरा, ब्राउनटॉप बाजरा, छोटे बाजरा, कोडो बाजरा और बार्नयार्ड बाजरा शामिल हैं। उन्होंने कहा कि बाजरा की प्राकृतिक खेती से बंजर भूमि का पुनर्वास किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उनके प्रयोगों से पता चला है कि बाजरा खाने से न केवल बीमारियों को रोकने में मदद मिल सकती है, बल्कि रोगियों को प्रगतिशील बीमारियों में बेहतर इलाज करने में मदद मिल सकती है।

आगे उन्होंने कहा, यह कोई जादू नहीं है। यह बाजरा का एक आदर्श विज्ञान है, जो स्वस्थ जीवन के लिए वास्तविक खाद्य पदार्थ हैं। वली के अनुसार, बाजरा पहली पालतू घास है और कहा कि बाजरा के लाभों पर जागरूकता अभियान की आवश्यकता है। सचिव कृषि राकेश कंवर ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष 2023 बाजरा के लिए एक शानदार मौका है। उन्होंने कहा, इस कार्यशाला में चर्चा से हमें कृषि नीति में आमूलचूल बदलाव लाने में मदद मिलेगी। उन्होंने वली से हिमाचल में मिलेट वकिर्ंग ग्रुप का मेंटर बनने का अनुरोध किया।

नौनी विश्वविद्यालय के कुलपति राजेश्वर सिंह चंदेल ने कहा कि राज्य के लिए बाजरा पर कार्यदल द्वारा तैयार की जाने वाली कार्य योजना में विश्वविद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

सोर्सः आईएएनएस

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