– ऋषभदेव शर्मा
जी-20 नेताओं का 18वाँ शिखर सम्मेलन 9 और 10 सितंबर, 2023 को नई दिल्ली में आयोजित हो रहा है। इस मौके पर दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के ये नेतागण अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास जैसे वै0श्विक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक साथ बैठेंगे।
शिखर सम्मेलन का केंद्रीय मुद्दा “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” है। यह विषय बहुपक्षवाद के प्रति भारत की प्रतिबद्धता और उसके इस विश्वास को दर्शाता है कि दुनिया की समस्याओं को केवल सहयोग के माध्यम से ही हल किया जा सकता है। इसके मूल में भारत की यह विश्वदृष्टि निहित है कि तमाम भिन्नताओं के बावजूद सारी दुनिया एक परिवार है। उम्मीद की जानी चाहिए कि भावी पीढ़ियों के हित के मद्देनजर विश्व नेतृत्व की वर्तमान पीढ़ी उस उदारता को आत्मसात करके दिखाएगी जो ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के भारतीय आदर्श को चरितार्थ करने के लिए ज़रूरी है।
कहना न होगा कि, “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” पृथ्वी पर समस्त जीवन के अंतर्संबंध का एक शक्तिशाली सूत्र है। इसमें मनुष्य सहित समस्त जीवों के साथ प्रकृति का सह-अस्तित्व शामिल है। यह जलवायु परिवर्तन, गरीबी और असमानता जैसी हमारे ग्रह के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग और सहभागिता का आह्वान है। यह विषय बहुपक्षवाद के प्रति भारत की प्रतिबद्धता और उसके इस विश्वास का भी प्रतिबिंब है कि दुनिया की समस्याओं को केवल मिलकर काम करने से ही हल किया जा सकता है। भारत में दुनिया भर से लोगों का स्वागत करने का एक लंबा इतिहास है, और शिखर सम्मेलन इस विविधता को प्रदर्शित करने और सभी के लिए साझा भविष्य के विचार को बढ़ावा देने का एक मौका उपलब्ध करा रहा है।
यह शिखर सम्मेलन भारत के लिए अपनी संस्कृति और विविधता को प्रदर्शित करने का भी एक खूबसूरत मौका है। यह देश मोहनजोदाड़ो के प्राचीन खंडहरों से लेकर मुंबई की जीवंत सड़कों तक तथा प्राचीनतम वैदिक और जैन-बौद्ध विरासत से लेकर ग्रामीण इलाकों की जीवंत लोक संस्कृतियों तक, विविध सांस्कृतिक धाराओं से समृद्ध मानव-महासमुद्र है। पाक कला का तो स्वर्ग ही है भारत। यहाँ सबसे समझदार लोगों को भी लुभाने के लिए विविध प्रकार के व्यंजन उपलब्ध हैं। यह मसालों की भूमि है, और इसका व्यंजन अपने षटरस और नाना सुगंधों के लिए प्रसिद्ध है। दक्षिण की तीखी करी से लेकर उत्तर की स्वादिष्ट मिठाइयों तक, भारतीय भोजन में हर किसी के लिए कुछ न कुछ है। शिखर सम्मेलन, अतिथियों के लिए कुछ बेहतरीन भारतीय व्यंजनों का स्वाद चखने का भी अवसर सिद्ध होगा। कहना न होगा कि इसके अलावा भी यह सम्मेलन भारतीय संस्कृति और विविधता को दुनिया के सामने प्रदर्शित करने का अवसर है। और, अधिक टिकाऊ और न्यायसंगत भविष्य के लिए अपने दृष्टिकोण को बढ़ावा देने का भी।
यहाँ यह भी कहना ज़रूरी है कि 18वें जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन को कई तरह की चुनौतियों पर चिंतन करना चाहिए। वैश्विक अर्थव्यवस्था अभी भी विश्वमारी कोरोना से उबर रही है और यूक्रेन-युद्ध ने दुनिया के सामने नई अनिश्चितताएँ पैदा कर दी हैं। शिखर सम्मेलन को इन चुनौतियों का समाधान करने और वैश्विक विकास और स्थिरता को बढ़ावा देने के तरीके खोजने की ज़रूरत है। जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भी ध्यान देना होगा। यह एक गंभीर चुनौती है जिसके लिए तत्काल कार्रवाई अपेक्षित है। शिखर सम्मेलन में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और कम कार्बन वाली अर्थव्यवस्था में परिवर्तन के लिए ठोस योजनाएँ पेश करने की जा सकें, तो कुछ बात बने।
अंततः, शिखर सम्मेलन में असमानता के मुद्दे को संबोधित करने की आवश्यकता होगी। यह एक बढ़ती हुई समस्या है जो दुनिया भर के समाजों को अस्थिर करने का खतरा पैदा कर रही है। शिखर सम्मेलन में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के ऐसे तरीके खोजने होंगे जो समावेशी हों और सभी को लाभ पहुँचाएँ। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस बहाने भारत विकसित और विकासशील देशों के बीच पुल बनाने में भी कामयाब होगा।
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