ग़ज़ल
सिसक रही सदी लिखो कवि,
सूख रही है नदी लिखो कवि!
नेकी का तो पतन हो रहा है,
बढ़ रही है बदी लिखो कवि!
किसी दिन घर को गिरा देगी,
ये बुनियादी नमी लिखो कवि!
मंगल पर जाने की तैयारी है,
कम पड़ती जमीं लिखो कवि!
आधुनिकता के इस काल मे,
गुम हो गई हसी लिखो कवि!
यक़ीनन हिंदी और उर्दू दोनों
दो बहने हैं सगी लिखो कवि!
क्रांतिकारी मशाल जलायेगी,
चिंगारी जो दबी लिखो कवि!
कौन दिखाये दर्पण ‘आदित्य’,
कलम जब थमी लिखो कवि!
नाम आदित्य आजमी
शायर – गीतकार
ग्राम – हैदराबाद उर्फ छतवारा (बड़ा पुरा), पोस्ट – चण्डेश्वर, जिला – आजमगढ़ उत्तर प्रदेश
पिन कोड- 276128 मोबाइल नं. – 9621983250
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